कविताः जिंदगी सिगरेट का धुआं
मुझे याद है धुएं के छल्ले फूंक मार के तोड़ना तुम्हें अच्छा लगता था लंबी होती राख झटकना बुझी सिगरेट उंगलियों में दबा लंबे कश भरना फिर खांसने का बहाना और देर तक हंसना…
मुझे याद है धुएं के छल्ले फूंक मार के तोड़ना तुम्हें अच्छा लगता था लंबी होती राख झटकना बुझी सिगरेट उंगलियों में दबा लंबे कश भरना फिर खांसने का बहाना और देर तक हंसना…