कविताः पिता
-रचना दीक्षित जाने क्यों नहीं बदलते कभी पिता मेरे हों या मेरे बच्चों के जब देखो रहते हैं पिता बचपन में देखा तो पिता बड़ी हुई तो भी पिता उम्र के इस पड़ाव पर जब…
-रचना दीक्षित जाने क्यों नहीं बदलते कभी पिता मेरे हों या मेरे बच्चों के जब देखो रहते हैं पिता बचपन में देखा तो पिता बड़ी हुई तो भी पिता उम्र के इस पड़ाव पर जब…