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meri kalam ki gustakhi

मेरी कलम की गुस्ताखी- “मुट्ठीभर खुशी”

अलसाई धुंधली सुबह के बाद बड़े दिन हुए चमकीली धूप निकली। लग रहा था कि कितने दिनों की नींद से ये कूनो का जंगल सोकर उठा है। ओस ने नहला के इसे राजा बेटे सा…