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MANDIR MASJID

सत्ता स्वार्थी हो चली है (कविता)

-पूजा कुमारी सत्ता की रस्म हो चली है हर त्योहार पर उपहार त्योहार कैसा? उपहार कैसा?   इज्जत लूटने का त्योहार हो तो लाख टके का उपहार जीवन जाने का त्योहर हो तो लाख टके…