छिपकली का बलात्कार (कविता)
क्या सच होने वाला है जो मैंने अभी है देखा सपना था पर क्यों डरा रहा जैसे हो हकीकत जैसा छिपकली जो कूदती है इधर से उधर कल यही तो बोल रही थी मैं मम्मा…
क्या सच होने वाला है जो मैंने अभी है देखा सपना था पर क्यों डरा रहा जैसे हो हकीकत जैसा छिपकली जो कूदती है इधर से उधर कल यही तो बोल रही थी मैं मम्मा…