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संजय़ भास्कर की कविता

हादसों के शहर में 

हादसों के शहर में, सबकी खबर रखिए । कोई रखे न रखे, आप जरूर रखिए। इस दौर में वफा की बातें, यक़ीनन सिरफिरा है कोई, उस पर नजर रखिए। चेहरों को पढ़ने का हुनर, खूब दुनिया को आता है।…


कुछ रिश्ते अनाम होते हैं (कविता)

– संजय भास्कर   कुछ रिश्ते अनाम होते हैं पर वो रिश्ते दिल के करीब होते हैं अनाम होने पर भी रिश्ते कायम रहते हैं पर, जब भी उन्हें नाम देने की कोशिश की जाती है…