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बचपन

गजलः दिन पुराने ढूंढ लाओ साब जी

-दिगम्बर नासवा दिन पुराने ढूंढ लाओ साब जी लौट के इस शहर आओ साब जी   कश पे कश छल्लों पे छल्ले उफ़ वो दिन विल्स की सिगरेट पिलाओ साब जी   मैस की पतली…


कविताः फूले हुए पेट

-सुकृति गुप्ता मैं उन बच्चियों को देखती हूँ बारह, तेरह, चौदह, पंद्रह बरस की उनके चेहरे की मासूमियत उनका चुलबुलापन, उनकी मुस्कुराहट उनका सँजना-सँवरना लड़कों को देखकर खिलखिलाना देखती हूँ   कोई और भी है…