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दिल का रिश्ता

मौन संवाद का रिश्ता

बरसों से तेरे मेरे बीच नहीं है कोई वार्तालाप मगर बन गया है एक रिश्ता तेरे मेरे दरमियान मौन, मौन हाँ…मौन संवाद का जिसमें तुम कुछ कहती भी नहीं हो फिर भी सब मालूम हो…


…इश्‍क़ की किताबों में (कविता)

किसी सफ़े पे थी खिलखिलाती याद उसकी किसी सफ़े पे था उसकी मुस्‍कराहटों का पहरा इश्‍क़ की किताबों में करवटें बदलती रूहों का जागना उंगलियों के पोरों की छुँअन से फिर कहना उनका हौले-हौले से…