वह सुबह कब यहाँ आयेगी ?
वह सुबह कब यहाँ आयेगी ? जब सूनी सड़कों पर बेटी हो निडर घूम – फिर पायेगी । वह सुबह कब यहाँ आयेगी ? मुखौटा पुरुषों का पहनकर दानव वहशी बन डोल रहे लगती…
वह सुबह कब यहाँ आयेगी ? जब सूनी सड़कों पर बेटी हो निडर घूम – फिर पायेगी । वह सुबह कब यहाँ आयेगी ? मुखौटा पुरुषों का पहनकर दानव वहशी बन डोल रहे लगती…
संबंधों की मरुथली को नेह भरी बरसात चाहिये दुख शूल बनकर चुभे कभी न अपनापन सौगात चाहिये । पीर परायी आँसू मेरे कुछ ऐसे अहसास चाहिये । महके सौरभ रेत कणों में हरी भरी…