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गजल

तेरा प्यार मिल जाये

मेरे टूटे हुये दिल को भी, यार करार मिल जाये। एक हमसफर गर आप सा, वफादार मिल जाये।। भुला दूँगा मैं दुनिया भर के सब गम जानेमन, मुझ को भी गर सच्चा, तेरा प्यार मिल…


दुष्यंत की जयंती पर विशेष “मैं किसी पुल सा थरथराता हूं”

– संजय भास्कर  तू किसी रेल सी गुज़रती है, मैं किसी पुल सा थरथराता हूं – दुष्यंत कुमार कवि और हिंदी के पहले गज़लकार स्व. दुष्यंत कुमार आज 1 सितंबर, 1933 के दिन ही पैदा हुए…


गजलः दिन पुराने ढूंढ लाओ साब जी

-दिगम्बर नासवा दिन पुराने ढूंढ लाओ साब जी लौट के इस शहर आओ साब जी   कश पे कश छल्लों पे छल्ले उफ़ वो दिन विल्स की सिगरेट पिलाओ साब जी   मैस की पतली…