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खेत

“चुनाव, वादा और किसान”: ये संबंध तोड़ दो तो बन जाए जिंदगी

आप सोच रहे होंगे कि मैंने “चुनाव, वादा और किसान” इस लेख का शीर्षक क्यों लिखा? आप बिलकुल सही सोच रहे हैं।  आपको बता दूं इन तीनों शब्दों में एक गहरा नाता है। हमारे देश…


गांव मेरा मुझे याद आता रहा (छात्र की डायरी)

उन दिनों सुबह कितनी जल्दी हो जाया करती थीं। शाम भी कुछ जल्दी घिर आया करती थीं तब फूलों की महक भीनी हुआ करती थीं और तितलियां रंगीन। इन्द्रधनुष के रंग थोड़े चमकीले, थोड़े गीले…