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अभिव्यक्ति की आजादी

दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र क्यों होता जा रहा है लोकतंत्र विहीन?

“मजबूत लोकप्रियता, कमजोर लोकतंत्र की निशानी होती है” 2010 में ‘अरब स्प्रिंग’ ने दुनिया में लोकतंत्र के फैलाव को लेकर जो उम्मीदें जगाई थीं वो लगता है अब फिर से गहरी नींद में जा रहीं…