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अंकित चौरसिया

कहाँ है सब्र?

सब्र चाहिए मुझे परेशां हूँ निकलता हूँ अपने डेरे से रोज उसके लिए कहाँ मिलेगा ये सब्र सब्र चाहिए मुझे मन अपने गति से भी अधिक ढूंढ़ता है उसे पूरी दुनिया देखता है मन पूरे…