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मित्रता दिवस

मीत 

-अंकित कुंवर जेई न समझे मित्र का मान, होई दुखदायी कहूँ महान।   सच्चा मित्र सम्मान पाहिजे, शत्रु विधाता पापित काहिजे।   केहू कहि दुख हरि हमारो, देखत देखत गुण बौछारो।   अवगुण अस्त व्यस्त…