कविताः बेटियां
– मीना भारद्वाज पेड़ों की डाल से टूट कर गिरे चन्द फूल अलग नहीं हैं ब्याह के बाद की बेटियों से। आंगन तो है अपना ही पर तब तक ही जब तक साथ था डाल…
– मीना भारद्वाज पेड़ों की डाल से टूट कर गिरे चन्द फूल अलग नहीं हैं ब्याह के बाद की बेटियों से। आंगन तो है अपना ही पर तब तक ही जब तक साथ था डाल…