SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

मंथन

कविताः बेटियां

– मीना भारद्वाज पेड़ों की डाल से टूट कर गिरे चन्द फूल‎ अलग नहीं हैं ब्याह के बाद की बेटियों से। आंगन तो है अपना ही पर तब तक ही जब तक साथ था डाल…