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अभिजात कांडपाल ‘निडर’

कविता: बाधक! जय हो तुम्हारी

जय हो तुम्हारी, विजय हो तुम्हारी, कदम-कदम पर बनने वाले बाधक! जय हो, विजय हो, हर पल में अपराजय हो तुम्हारी। क्योंकि, जब होगी जय तुम्हारी, जब होगी विजय तुम्हारी, तब-तब मेरा साहस खुद जागेगा,…