देश के ज्यादातर विश्वविद्यालयों में निजीकरण खासकर फीस वृद्धि को लेकर इस समय सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन के विरोध में शिक्षक व छात्र सड़क पर उतर रहे हैं। आईआईटी जैसे संस्थान तो इसमें पहले से शामिल हैं। अब आईआईएमसी भी इसमें शामिल हो गया है। आईआईएमसी, दिल्ली (भारतीय जनसंचार संस्थान) में अत्यधिक फीस जोकि छात्रों की पहुंच से बाहर है। इसलिए यहां के छात्र भी अब इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। गौरतलब हो कि पिछले कई महीनों से जेएनयू के छात्र छात्रावास में मनमानी फीस वृद्धि को लेकर अब तक लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी तरह डीयू में निजीकरण के विरोध में हजारों शिक्षक व छात्र सड़कों पर उतर रहे हैं।
भारतीय जनसंचार संस्थान की स्थापना सन् 1965 में हुई थी। इसकी गिनती देश के प्रमुख संस्थानों में होती है। इसकी स्थापना सूचना व प्रसारण मंत्रालय की ओर से स्वायत्त समाज के रूप में हुई थी। प्रायः ऐसे संस्थानों को बिना लाभ – हानि के चलाया जाना चाहिए जबकि आईआईएमसी में हर साल 10 फीसद फीस में बढ़ोतरी कर दी जाती है। बता दें कि 10 माह के पाठ्यक्रम के लिए और छात्रावास में रहने और खाने के लिए करीब 1 लाख 68 हजार 500 रुपये शुल्क है जोकि मध्य वर्गीय छात्र के पहुंच से बाहर ही है।
2019-2020 में विभिन्न पाठ्यक्रमों की फीस पर गौर करें तो पाएंगे कि पत्रकारिता के इन पाठ्यक्रमों में न सिर्फ इन पाठ्यक्रमों की फीस ज्यादा है बल्कि छात्रावास में रहने के लिए भी छात्रों को भारी खर्च करना पड़ता है। जहां रेडियो और टीवी पत्रकारिता के लिए 168500 फीस है वहीं विज्ञापन व जनसंपर्क में 1,31500, हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारिता में 95500 और उर्दू पत्रकारिता के लिए 55500 फीस है जो कि 1 वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए ही है। इसके साथ ही छात्रावास में रहने के लिए अलग से लड़कियों से 6500 और लड़कों से 4800 रुपये फीस हर महीने लिया जाता है जोकि सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों की लिहाज से बहुत ज्यादा है। जबकि हर छात्र को छात्रावास भी नहीं उपलब्ध कराया जाता है।
आईआईएमसी के छात्र ऋषिकेश का कहना है कि “पिछले हफ्ते से हमने इस मुद्दे के समाधान के लिए प्रशासन से बात करने की पहल की मगर इसका कोई नतीजा नहीं निकला। प्रशासन का कहना है फीस में किसी भी प्रकार की गुंजाइश हमारे पहुंच से दूर है। इसलिए अब कोई उपाय सामने नहीं है सिवाय प्रदर्शन के।
इस देश में सस्ती शिक्षा सभी छात्रों का अधिकार है। जबकि यहां पर छात्र पूरे भारत के स्तर पर परीक्षा को पास करके आते हैं। हम नहीं चाहते कि शिक्षा लेने से वे लोग वंचित रह जाएं जो इतना ज्यादा फीस न जमा कर सकें। शिक्षा सबका अधिकार है न कि केवल कुछ लोगों तक ही सीमित करने के प्रयास किए जाएं।”

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