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वीडियो- 8 हजार शिक्षकों ने कुलपति के ऑफिस पर किया कब्जा, 3 नवंबर की सुबह से ही प्रदर्शन जारी

दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के नेतृत्व में बुधवार को सुबह डीयू के कला संकाय पर हजारों शिक्षक एकत्रित हुए। उसके बाद शिक्षकों का बड़ा जत्था हाथों में बैनर, प्ले कार्ड लिए और सरकार विरोधी नारे लगाते हुए, 28 अगस्त का लेटर वापिस लो, परमानेंट अपॉइंटमेंट्स शुरू करो,  पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू करो, काले कमेटी लागू हो, शिक्षकों का समायोजन करो, हम क्या चाहते न्याय, न्याय तुमको देना होगा आदि लगाते हुए कुलपति कार्यालय पर पहुंचे। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व डूटा के अध्यक्ष डॉ. राजीव रे और सचिव डॉ. राजेन्द्र सिंह ने किया। शिक्षक सुबह 11 :30 बजे से ही कुलपति कार्यालय के बाहर डटे हुए हैं। प्रदर्शन रात को भी जारी है। अभी भी हजारों शिक्षक वीसी ऑफिस के अंदर घुसकर लगातार प्रशासन और शासन विरोधी नारे लगाए।

देखें वीडियो-

दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया कि आज का यह विरोध प्रदर्शन 28 अगस्त को जारी उस पत्र के विरोध में था जिसमें कहा गया है कि एडहॉक टीचर्स के स्थान पर कंट्रक्चुअल या गेस्ट टीचर्स लगाए जाएं। इस पत्र की वापसी तुरंत हो। इसके अलावा जो शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं उसके स्थान पर कॉलेज एडहॉक या परमानेंट की जगह गेस्ट टीचर्स लगाए जा रहे हैं उसे तुरंत रोका जाए। इसके अलावा जिन कॉलेजों में क्लियर वैकेंसी है उस पर परमानेंट अपॉइंटमेंट्स के होने तक उस पोस्ट पर एडहॉक टीचर्स रखने की बहाली हो। साथ ही एडहॉक टीचर्स की सर्विस को स्थायी नियुक्ति व प्रमोशन के समय जोड़ी जाए।

प्रो. सुमन ने आगे बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकांश कॉलेज ईडब्ल्यूएस आरक्षण की आड़ में पहले से लगे एडहॉक शिक्षकों को हटाकर उनके स्थान पर ईडब्ल्यूएस कोटे से शिक्षक लगाना चाहते हैं जबकि उन कॉलेजों में सेकेंड ट्रांच की पोस्ट आने के बाद भी उन पर एडहॉक टीचर्स न लगाकर गेस्ट टीचर्स लगाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि गेस्ट टीचर्स का किसी भी कॉलेज में रोस्टर लागू नहीं है।कॉलेजों का कहना है कि गेस्ट टीचर्स में कोई आरक्षण नहीं है, जब आरक्षण नहीं है तो कैसे उन पदों पर एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के अभ्यर्थियों को लगाए। उन्होंने मांग की है कि ईडब्ल्यूएस कोटा व फिजिकल एजुकेशन टीचर्स को रोस्टर में शामिल करने की मांग को लेकर भी आज का यह विरोध प्रदर्शन था।

गौरतलब हो कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पिछले एक दशक से स्थायी नियुक्ति न होने से लगभग 5 हजार से अधिक शिक्षक आज विभिन्न विभागों/कॉलेजों में लगे हुए हैं। इसके अलावा 10 से 15 वर्षों से 3 हजार शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हुई है। ये शिक्षक पदोन्नति के इंतजार में बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सत्यवती कॉलेज(सांध्य) व लक्ष्मीबाई कॉलेज से शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने के बाद भी पदोन्नति नहीं हुई, वे बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो गए।

उनका कहना है कि शिक्षकों की इतनी बड़ी संख्या में आना यह दर्शाता है कि वे अपनी स्थायी नियुक्ति व पदोन्नति न होने से लंबे समय से पीड़ा झेल रहे हैं। उनका कहना है कि वे कुलपति कार्यालय से जब उठेंगे जब तक उन्हें स्थायी नियुक्ति करने व पदोन्नति करने का आश्वासन नहीं मिल जाता।

शिक्षकों ने कुलपति कार्यालय में दीवारों पर पेंटिग बनाए, नारे लिखे-डूटा जिंदाबाद, हमे चाहिए न्याय, लेकर रहेंगे अपॉइंटमेंट्स और प्रमोशन। अभी भी शिक्षक वीसी ऑफिस के बाहर डटे हुए हैं। डूटा का कहना है कि जब तक 28 अगस्त का लेटर वापिस नहीं हो जाता वे यहाँ से उठेंगे नहीं। यह प्रदर्शन जारी रहेगा। प्रदर्शन में शामिल डॉ. सुरेंद्र राणा, डॉ. रसाल सिंह, डॉ.सुधांशु कुमार, डॉ. आलोक पांडेय, डॉ. संदीप कुमार, डॉ. वीएस नेगी, डॉ. अजय कुमार भागी, डॉ लक्ष्मण यादव, डॉ संतोष यादव आदि का कहना है कि जब तक 28 अगस्त का लेटर, स्थायी नियुक्ति और प्रमोशन संबंधी आश्वासन नहीं मिलेगा यह धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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