दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान में रोज़ाना साम्प्रदयिक जहर उगलने वाले टीवी चैनल्स, अख़बारों के ख़िलाफ़ पत्रकारों ने 6 फरवरी को विरोध प्रदर्शन किया। विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में हो रहे लगातार हमले और हिंसा की जिस तरह से एकतरफ़ा कवरेज मीडिया में हो रही है, उससे जनता भ्रमित हो रही है। सरकार की अंधसमर्थक मीडिया अब धर्म के नाम पर लोगों में जहर फैलाने का काम भी कर रही है। पत्रकारिता में हो रहे इस नैतिक पतन का विरोध पत्रकारों द्वारा ही खुले तौर पर शुरू हो गया है।
सोमवार को हुए विरोध प्रदर्शन में पत्रकारों ने पोस्टरों और नारों के साथ मीडिया के साम्प्रदायिक चरित्र के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद की। ‘एंकर तेरा काम है बदतर, भुगत रहा है ग्राउंड रिपोर्टर’, ‘सुधीर चौधरी! IIMC तुम पर शर्मिंदा है’, ऐसी तमाम पंक्तियां देर शाम तक कैम्पस में गूंजती रहीं।
विरोध प्रदर्शन में पत्रकारों के साथ-साथ सिविल सोसायटी के लोग भी शामिल थे। प्रदर्शन में आए हुए स्टैंड कॉमेडियन रवि गुप्ता ने इस प्रदर्शन को बहुत ही ज़रूरी कदम बताया। उन्होंने कहा कि मीडिया की एकतरफ़ा और झूठी कवरेज की वजह से उनके कई रिश्तेदारों, दोस्तों का ब्रेनवाश हो चुका है। लोग छात्रों की पिटाई को जायज़ बताने लगें क्योंकि TV चैनल्स ने सालों से उन्हें बताया है कि ये छात्र देश को बांटने का काम कर रहे हैं। ऐसे में हमें इन चैनल्स का बॉयकॉट कर देना चाहिए।
प्रदर्शन में शामिल पत्रकार मनदीप पुनिया के मुताबिक़, ये एंकर्स स्टूडियो में सुरक्षित माहौल में बैठकर प्रोपेगैंडा फैला रहे हैं। और हम जैसे रिपोर्टर्स जो कि फ़ील्ड पर होते हैं, लोगों के गुस्से का शिकार होते हैं। मार तो हमें पड़ती है।
भारतीय जनसंचार संस्थान के वर्तमान छात्र ऋषिकेश शर्मा कहते हैं कि मीडिया ने पब्लिक इंटरेस्ट की बात करने वाले एक खास विचार के लोगों के प्रति अपने दर्शकों के बीच जो भ्रामक जानकारियां प्रसारित प्रचारित की और जो नफ़रत का जो नैरेटिव सेट किया उसी का नतीजा है कि देश के शिक्षण संस्थानों में माहौल इतना खराब होता जा रहा है। छात्रों पर सरकार कोई ईडी और सीबीआई का छापा तो मरवा नहीं सकती थी तो अब परेशान होकर कैम्पस में ही पुलिस और गुंडों से लाठियां चलवाने लगी है। अगर ये साहस आज सरकार और पुलिस को मिला है तो ये मीडिया द्वारा इनके प्रति सेट किये गए गलत नैरेटिव से मिला है।
संस्थान के एक और छात्र देवेश मिश्रा के मुताबिक़, आज का मीडिया मुख्यधारा का मीडिया पूरी तरह से अपने जनहित के सरोकारों को भूल चुका है वह तथ्यों को इस तरह से तोड़ मरोड़ कर एक प्रोपेगैंडा के तहत खबरें चलाता है ताकि जनता गुमराह हो सके और उसके इन करो कि भाषा इतनी आक्रामक और दंगाई है कि जनता में एक खास तरह की विचारधारा और एक खास तरह का प्रभाव पैदा किया जा रहा है आज मीडिया का जो चरित्र है वह बहुत ही निंदनीय है।
Very nice presentation