दिल्ली ग्रंथालय संघ की ओर से व्याख्यान श्रंखला कार्यक्रम के तहत 7वां पदमश्री प्रो. पीएन कौला स्मृति व्याख्यान ‘इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइटः रोल ऑफ लाइब्रेरीज’ विषय पर 18 नवंबर को डीएलए मुख्यालय में आयोजित किया गया। गौरतलब हो कि यह संघ भारत के सबसे पुराने पुस्तकालय संघों में से है। इसकी स्थापना 1939 में हुई थी।
पुस्तकालय विज्ञान के प्रोफेसर व दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में विद्वत परिषद सदस्य डॉ केपी सिंह ने भारत में आईपीआर से सम्बन्धित विविध विषयों पर चर्चा की और साथ ही टीकेडीएल जो कि देश में स्वदेशी ज्ञान को संगठित एवं संरक्षित करने में योगदान देती है, के बारे में बताया। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक व राष्ट्रीय औषधीय पादप मंडल, आयुर्वेद मंत्रालय, भारत सरकार में मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रो. तनुजा मनोज नेसरी ने अपने वक्तव्य में आयुर्वेद को भारतीय औषधि के क्षेत्र में वैकल्पिक महत्व के रूप में देखने पर बल दिया।
इस अवसर पर डीयू के रामजस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मनोज खन्ना विशिष्ठ अतिथि थे। उन्होंने पुस्तकालय के उपयोग पर अपने विद्यार्थी जीवन के अनभुव साझा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि छात्र और शोधकर्ताओं को पुस्तकालय का नियमित रूप से उपयोग करना चाहिए। दिल्ली पुस्तकालय संघ के अध्यक्ष डॉ. आरके शर्मा ने अपने वक्तव्य में डीएलए का पुस्तकालय व सूचना विज्ञान में उन्नति और विकास की चर्चा करते हुए उसकी भूमिका को उजागर किया।
कार्यक्रम में 200 से अधिक पुस्तकालय व विज्ञान के विशेषज्ञों, छात्रों एवं शोधकर्ताओं ने भाग लिया।
Fortunate to be invite a invite speaker and addressing a intellectual gathering on intellectual property rights and role of libraries….indeed I congratulate the entire team of Delhi Library Association for holding such a academic talk on a legend of Library science padamshri Prof PN Kaula….