डीयू में शिक्षकों की नियुक्तियों पर ग्रहण लग गया है। आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के उम्मीदवारों को 10फीसद आरक्षण देने के लिए रोस्टर रजिस्टर का रिकास्ट करना होगा। 10 फीसद आरक्षण को 200 पॉइंट पोस्ट बेस्ड रोस्टर में ही पद तय किए गए हैं। ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर कॉलेजों को रोस्टर रिकास्ट कर रोस्टर रजिस्टर बनाने को लेकर सर्कुलर भेजा गया।
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से सम्बद्ध कॉलेजों में शैक्षिक पदों पर लंबे अरसे से इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों को लग रहा था कि अप्रैल में स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 फीसद आरक्षण की वजह से शिक्षकों की नियुक्तियों पर ग्रहण लग गया है। इससे कुछ समय के लिए भर्ती प्रक्रिया फिर से टल गई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि हाल ही में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने संबंधी डीओपीटी का सर्कुलर आया है, जिसमें कहा गया है कि इसे लागू करते हुए शैक्षिक व गैर शैक्षिक पदों को भरा जाये।
उन्होंने बताया है कि डीओपीटी सर्कुलर के आधार पर दिल्ली विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव (भर्ती) ने विभागों और कॉलेजों को सर्कुलर जारी कर आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग संबंधी नीति को ध्यान में रखकर उसे सीधी भर्ती में एक फरवरी 2019 से लागू करने का आदेश पारित किया है। डीओपीटी ने इसे फरवरी2019 से लागू मानने का आदेश दिया है।
प्रो. सुमन ने आगे बताया है कि ईडब्ल्यूएस कोटे को संज्ञान में लेते हुए अब विश्वविद्यालय के विभागों/कॉलेजों को एक नये रोस्टर बनाने की आवश्यकता होगी और वह रोस्टर बिना सामने लाए कोई भी नियुक्ति प्रक्रिया संवैधानिक रूप से संभव नहीं है। आरक्षण रोस्टर के अनुसार एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस की सीधी भर्ती हेतु आरक्षण रोस्टर को पुनः संशोधित करके सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करना होगा जो कि आरक्षण रोस्टर के मॉडल में संरक्षित है। मॉडल रोस्टर के अंतर्गत निम्न पदों को दर्शाया गया है-10, 21, 31, 43, 50, 62, 70, 83, 90, 98, 110,122, 131, 142, 150, 164, 170, 181, 190, 196 आदि पदों को नये डीओपीटी रोस्टर में 200 पॉइंट पोस्ट बेस्ड रोस्टर तैयार किया गया है।
प्रो. सुमन के अनुसार सर्कुलर में कहा गया है कि यदि मॉडल रोस्टर देखना है तो डीओपीटी की ओर से जारी कार्यालय ज्ञापन में विस्तार से दिया गया है और यह कहा गया है कि इस रोस्टर रजिस्टर को एक फरवरी 2019 के कार्यालय ज्ञापन में विवरण सहित देखा जा सकता है। इसी के आधार पर कॉलेजों को रोस्टर को रिकास्ट करके डीयू के एससी, एसटी और ओबीसी के लायजन ऑफिसर से पास कराकर पदों को विज्ञापित किया जाये।
नियमों की अनदेखी न हो
प्रो. सुमन ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यदि विश्वविद्यालय कॉलेजों में नियमों की अनदेखी करके इस तरह नियुक्ति प्रक्रिया आरम्भ होगी तो भविष्य में नियुक्त हुए शिक्षकों को हो सकता है न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़े, इसलिए बेहतर है कि 10 फीसद आरक्षण को लागू करके नये आरक्षण रोस्टर को सार्वजनिक किया जाए, रिक्त पदों को घोषित किए जाए उन्हें वेबसाइट पर डाला जाना चाहिए।
प्रो. सुमन ने बताया है कि रोस्टर नियमों की धांधली इसी कारण होती रही है क्योंकि अधिकतर ये नियम सार्वजनिक रूप से वेबसाइट, पोर्टल और शिक्षण संस्थानों के सार्वजनिक स्थलों पर सूचित नहीं किया जाता। कुछ ही शिक्षकों को आरक्षण रोस्टर की जानकारी होती है, जैसा रोस्टर बना दिया उसी पर आगे अकादमिक कार्यवाही हो जाती है।
कुलपति से जल्द रोस्टर रिकास्ट कर स्थायी नियुक्तियों की मांग की
प्रो. सुमन ने मांग की है कि रोस्टर रिकास्ट होने के बाद जिन पदों की पहले स्क्रीनिंग और स्क्रुटनी होकर लिस्ट बन चुकी है उसका जल्द से जल्द कोरिजेंडम निकाला जाये क्योंकि उन विज्ञापनों की समय सीमा समाप्त हो चुकी है।
देशभर के अन्य विश्वविद्यालयों में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को 10 फीसद आरक्षण को ध्यान में रखकर रोस्टर रिकास्ट करके नियुक्तियों संबंधी कोरिजेंडम/विज्ञापन जारी करे। बेहतर होगा कि इस प्रक्रिया को लंबा ना खींचने की बजाय त्वरित रूप से रोस्टर रिकास्ट करके स्थायी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाये। लंबे अरसे से नियुक्तियां रुकी होने के कारण आज डीयू में एडहॉक शिक्षकों की संख्या 5 हजार से ज्यादा हो चुकी है, शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं लेकिन, उनके स्थान पर एडहॉक नहीं बल्कि गेस्ट फैकल्टी के रूप में नियुक्तियां की जा रही हैं।
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