इस योजना का मोदी सरकार ने आधे से अधिक पैसा सिर्फ प्रचार में खर्च किया गया। जबकि 19 फीसद पैसा जारी ही नहीं किए गए
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को साल 2014-15 से 2018-19 तक में कुल 648 करोड़ रुपये आवंटित कर चुकी मोदी सरकार की ओर से केवल 159 करोड़ रुपये ही जिलों और राज्यों को भेजे गए हैं। जबकि 364.66 करोड़ रुपये मीडिया संबंधी कार्यों पर ख़र्च किए गए। वहीं करीब 124.16 करोड़ रुपये जारी ही नहीं किए गए।
गौरतलब हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में 22 जनवरी को ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरूआत की थी। इस योजना को शुरू करने के पीछे दो लक्ष्य था- एक यह कि गिरते हुए लिंगानुपात को कम किया जाए और दूसरा यह कि समाज में लड़कियों के प्रति नजरिया में बदलाव हो। इसका जिम्मा तीन मंत्रालय महिला और बाल विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दिया गया।
योजना की शुरूआत के चार साल बाद सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि इसका लक्ष्य ‘बेटी बचाने और बेटी बचाने’ से ज्यादा प्रचार यानी पब्लिसिटी था। आंकड़ों के अनुसार जारी फंड का 56 फीसद पैसा प्रचार में खर्च कर दिया गया। 25 फीसद से भी कम पैसा जिला और राज्यों में आवंटित किए गए। जबकि अभी तक करीब 19 फीसद पैसा सरकार ने जारी ही नहीं किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के तहत पिछले चार सालों में आवंटित हुए कुल फंड और खर्च के बारे में यह जानकारी इसी साल बीते चार जनवरी को लोकसभा में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने अपने जवाब में दिए हैं।
आंकड़े क्या कहते हैं…
साल 2018-19 के लिए सरकार ने 280 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिसमें से 155.71 करोड़ रुपये केवल मीडिया संबंधी गतिविधियों पर खर्च कर दिए। इनमें से 70.63 करोड़ रुपये ही राज्यों और जिलों को जारी किए गए जबकि सरकार ने 19 फीसद से अधिक की धनराशि यानी 53.66 करोड़ रुपये जारी ही नहीं किए।
साल 2017-18 में सरकार ने 200 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिसमें से 68 फीसदी धनराशि यानी 135.71 करोड़ रुपये मीडिया संबंधी गतिविधियों पर खर्च की गई थी। 33.2 करोड़ रुपये ही राज्यों और जिलों को जारी किए गए। वहीं साल 2016-17 में सरकार ने 43 करोड़ रुपये आवंटित किए जिसमें से 29.79 करोड़ रुपये मीडिया संबंधी गतिविधियों पर खर्च कर दिए जबकि केवल 2.9 करोड़ रुपये ही राज्यों एवं जिलों को बांटे गए।
पांच सांसदों, भाजपा के कपिल पाटिल और शिवकुमार उदासी, कांग्रेस की सुष्मिता देव, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के गुथा सुकेंदर रेड्डी और शिवसेना के संजय जाधव ने सदन में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ को लेकर सवाल पूछा था।
डॉ. वीरेंद्र कुमार से यह पूछने पर कि क्या यह योजना फेल कर गई? इसके जवाब में उन्होंने इसे विफल मानने से इनकार कर दिया और कहा कि सरकार इस योजना को देश के 640 जिलों में लागू करना चाहती थी। 2015 में प्रथम चरण में सरकार ने कम लिंगानुपात वाले 100 जिलों पर ध्यान केंद्रित किया। दूसरे चरण में 61 अन्य जिलों को जोड़ा गया। इन 161 जिलों में बाल लिंगानुपात के आधार पर योजना आंशिक तौर पर सफल रही है। 161 में से 53 जिलों में, 2015 से बाल लिंग अनुपात में गिरावट आई है। इनमें से पहले चरण के 100 में से 32 जिले और दूसरे चरण के 61 में से 21 जिले शामिल हैं। हालांकि, बाकी जिलों में बाल लिंगानुपात में वृद्धि हुई है।
केंद्रशासित प्रदेशों में लिंगानुपात में गिरावट तेज
डॉ. वीरेंद्र कुमार के अनुसार ‘केंद्रशासित प्रदेशों खासकर निकोबार में, लिंग अनुपात साल 2014-15 में प्रति 1000 पुरुषों पर 985 महिलाओं का था, जो साल 2016-17 में गिरकर 839 हो गया। पुदुचेरी के यानम में, यह 2014-15 में 1107 था, जो गिरकर 976 हो गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि योजना की सीमित सफलता काफी हद तक इस तथ्य की वजह से है कि सरकार धन को प्रभावी रूप से जारी नहीं कर रही है और यह शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में ठोस हस्तक्षेप के बजाय प्रचार पर बहुत ज्यादा खर्च कर रही है।
राहुल गांधी ने कहा “मोदी बचाओ एडवरटाइजमेंट चलाओं”
राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए इस पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि मोदी बचाओ एडवरटाइजमेंट चलाओ।
-प्रभात
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