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डीयू के कॉलेज शिक्षकों से की जा रही है रिकवरी, नियुक्ति पर 3 साल पहले मिली थी इंक्रीमेंट

तस्वीरः गूगल साभार

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से सम्बद्ध कॉलेजों में वर्ष 2015-16 में नियुक्त शिक्षक जिन्होंने एमफिल/पीएचडी की हुई है उन्हें यूजीसी नियमानुसार इंक्रीमेंट दी गई थी। कॉलेजों द्वारा शिक्षकों को जो इंक्रीमेंट दी गई थी अब उनकी रिकवरी की जा रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय में एक दर्जन ऐसे कॉलेज बताए जा रहे हैं जहां इंक्रीमेंट के रूप में जो राशि बढ़ाकर मिली थी वह बढ़ी धनराशि रिकवरी की जा रही है। शिक्षकों में इतनी बड़ी धनराशि रिकवरी करने को लेकर तनाव और असंतोष का माहौल बना हुआ है।

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन प्रो. हंसराज “सुमन” ने बताया है कि रामलाल आनन्द कॉलेज के शिक्षकों ने उन्हें बताया कि स्थायी नियुक्ति के बाद पीएचडी की जो इंक्रीमेंट मिली थी उसे वेतन के साथ जोड़कर प्रति माह दिया गया लेकिन, अचानक कॉलेज प्रशासन ने कहा कि पीएचडी की इंक्रीमेंट नहीं देनी है,और जो इंक्रीमेंट लगाकर वेतन दिया है उसकी रिकवरी होगी। उनका कहना है कि इंक्रीमेंट की रिकवरी किये जाने संबंधी यूजीसी से ऐसा कोई सर्कुलर जारी नहीं हुआ है, जिसमें पीएचडी इंक्रीमेंट काटने के निर्देश दिए गए हो। उनकी रिकवरी हो चुकी है। रामलाल आनन्द कॉलेज, शिवाजी कॉलेज, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स, आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज बहुत से ऐसे कॉलेज हैं जिनमें रिकवरी हुई है।

शिक्षकों को वर्ष 2016 से अप्रैल 2018 तक पीएचडी की बढ़ी हुई इंक्रीमेंट दी गई थी,उसके बाद काटकर रिकवरी कर ली गई। अभी भी इनकी इंक्रीमेंट को रोक दिया गया है। विद्वत परिषद की बैठक में एमफिल/पीएचडी धारक शिक्षकों को इंक्रीमेंट दिए जाने का नियम पास हो चुका है। विद्वत परिषद में पास निर्णयों को कार्यकारी परिषद की बैठक में पास किया जाना था लेकिन, बैठक स्थगित होने के कारण इसे पास नहीं किया गया है। ऐसे में उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि बिना रेगुलेशन पारित किए और अध्यादेश बने किस आधार पर उन शिक्षकों की इंक्रीमेंट काटी गई और किस आधार पर अप्रैल 2018 के बाद नहीं दी गई।

प्रो. सुमन ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि एक तरफ सरकार शिक्षकों की नियुक्तियों में पीएचडी की अनिवार्यता शर्तें लागू करने संबंधी वक्तव्य दे रही है और कह रही है कि 2021 के बाद से शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए पीएचडी अनिवार्य होगी वहीं दूसरी तरफ पीएचडी करने वाले शिक्षकों की दी गई इंक्रीमेंट काट रही है, पीएचडी धारक शिक्षकों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों? उनका कहना है कि ऐसे शिक्षकों से रिकवरी के तौर पर लगभग 1.50 लाख से लेकर उससे ज्यादा रुपयों की रिकवरी की जा रही है।

शिक्षकों की रिकवरी के मामले को लेकर ना तो डूटा ने और न ही अन्य शिक्षक संगठनों ने कभी यह मुद्दा उठाया। उनका कहना है कि इस मामले को लेकर वे जल्द ही दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से मिलने वाले हैं। साथ ही आगामी डूटा जीबीएम की बैठक में इस मुद्दे को उठाएंगे। साथ ही यूजीसी को इंक्रीमेंट के संदर्भ में लिखेंगे कि डीयू के कॉलेजों में ही शिक्षकों को इंक्रीमेंट क्यों नहीं दी जा रही है, अन्य विश्वविद्यालयों में अलग नियम क्यों?

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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