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डीयूः एडहॉक शिक्षकों का क़ॉलेज में कोई पहचान पत्र ही नहीं, कुलसचिव को लिखा पत्र

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने कुलसचिव को पत्र लिखकर उन्हें बताया है कि सम्बद्ध विभागों और कॉलेजों में वर्षों से एडहॉक शिक्षकों के रूप में अपनी सेवाएं देने के बावजूद इनका आईकार्ड न होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसा लगता है कोई पहचान ही न हो जबकि ऐसे शिक्षक एसी/ईसी व डूटा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

एडहॉक शिक्षकों को विश्वविद्यालय की फैकल्टी में पढ़ने के लिए लाइब्रेरी या किसी संस्थान/कार्यालय अथवा कॉलेजों में जाने के लिए पहचान पत्र न होने से उन्हे प्रवेश ही नहीं मिल पाता।

प्रो. सुमन ने कुलसचिव(रजिस्ट्रार) को लिखे पत्र में मांग की है कि फरवरी 2019 में होने वाले विद्वत परिषद व कार्यकारी परिषद के चुनाव से पूर्व कार्यालय से एक सर्कुलर जारी किया जाए जिसमें कॉलेजों के प्राचार्यों को निर्देश दिए जाये कि स्थायी शिक्षकों की भांति एडहॉक का भी आईकार्ड बने। उन्होंने यह भी कहा है कि पहचान पत्र का कोई शिक्षक गलत इस्तेमाल न करे इसके लिए उसमें नियुक्ति तिथि, वैधता तिथि, जन्मतिथि आदि का उल्लेख भी हो क्योंकि क्योंकि कुछ कॉलेजों द्वारा एडहॉक शिक्षकों को वर्कलोड का बहाना बनाकर या पोस्ट खत्म हो गई दिखाकर दूसरे सेमेस्टर में नहीं रखते हैं, ऐसी स्थिति में उनसे पहचान पत्र वापिस ले लिया जाए।

प्रो. सुमन ने यह भी बताया है कि कुछ कॉलेजों में 20 से अधिक एडहॉक शिक्षक तो ऐसे हैं जो 2008 से नियमित रूप से एडहॉक उन्हीं कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं उनका भी कॉलेजों ने पहचान पत्र नहीं बनाया है, कुछ कॉलेजों के शिक्षकों का कहना है कि वे एक दशक से अधिक समय से पढ़ा रहे हैं लेकिन उनका पहचान पत्र कॉलेज वाले इसलिए नहीं बनाते हैं कि नियुक्ति पत्र 4 महीने के लिए ही होता है। उनका कहना है कि कॉलेज का पहचान पत्र ना होने से पब्लिक में हमारी ईमेज खराब होती है, लोग कहते हैं कि प्रोफेसर होते हुए पहचान पत्र ही नहीं है। जबकि सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों/संस्थानों में कंट्रक्चुल, एडहॉक, गेस्ट फैकल्टी का भी पहचान पत्र होता है।

उन्होंने आगे बताया है कि वर्ष 2015और 2017 के डूटा चुनाव में अधिकांश एडहॉक विशेषकर महिला शिक्षक पहचान पत्र के ना होने की वजह से डूटा चुनाव में अपने मत का प्रयोग नहीं कर सकीं। फरवरी 2019 में एसी/ईसी और अगस्त में डूटा का चुनाव भी है, ऐसे में शिक्षक बिना किसी परेशानी के अपने मत का प्रयोग कर सके इसके लिए जल्द ऐसे शिक्षकों का पहचान पत्र बने।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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