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राहुल गांधी से एडहॉक होने का दर्द बता डीयू की शिक्षिका हुईं भावुक, कहा अप्वाइंटमेंट रिचार्ज कूपन की तरह हर 4 महीने पर

तस्वीर स्रोतः एएनआई

-धनंजय

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के एक संवाद कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 22 सितंबर को पहुंचे तो एडहॉक शिक्षिका ने कुछ ऐसा कह दिया, जिससे पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। शिक्षिका लंबे समय से एडहॉक (तदर्थ) शिक्षकों को स्थायी नियुक्ति न किए जाने पर अपना दुख-दर्द बयां करते हुए काफी भावुक भी हो गईं। राहुल गांधी के सामने अपना दर्द बताते हुए उन्होंने कहा कि मैं 11 साल से (साल 2006) से दिल्ली विश्वविद्यालय में एडहॉक असिंसटेंट प्रोफेसर के रूप में इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट में पढ़ा रही हूं।  शिक्षिका के इतना कहते ही राहुल गांधी ने कहा कि मैं आपके इस सवाल का जवाब पहले से ही दे दूं? राहुल गांधी ने कहा कि ये एड हॉक निकाल देना चाहिए। इतना कहते ही हॉल तालियों से गूंज उठा।

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शिक्षिका ने आगे कहा “सर, ये हमारे ऊपर बदनुमा दाग है। इसे हम मिटाना चाहते हैं और इसी उम्मीद के साथ हम यहां आए हैं। मैं यह कहना चाहती हूं कि हमारा अप्वाइंटमेंट हर चार-चार माह में रिचार्ज कूपन की तरह होता है। हमसे काम तो सारे लिए जाते हैं। इवोल्यूशन, पढ़ाना, एडमिशन, फंक्शन और यहां तक कि भीड़ जुटाने तक के लिए एडहॉक टीचर्स से काम लिया जाता है। मैं यहां इस उद्देश्य से आयी थी कि मैं पढ़ाऊंगी और जो टाइम बचेगा उसमें मैं कुछ लिखने का काम करूंगी लेकिन मुझे, कोई समय तक नहीं मिलता।” दरअसल उनका कहने का मतलब यह था कि काम सारे छोटे बड़े सब एडहॉक को उत्पीड़न का शिकार बना करा लिया जाता है जिससे उसका व्यक्तिगत जीवन भी अंधकारमय हो जाता है और नौकरी से निकलने का खतरा सिर पर और मंडराता है।

एडहॉक शिक्षकों की क्या हैं दिक्कतें

आपको बता दें एडहॉक शिक्षक वो होते हैं, जिन्हें कॉन्ट्रैक्ट आधार पर नियुक्त किया जाता है और वक्त वक्त पर उनका यह कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया जाता है, लेकिन उनका स्थायी तौर पर नियुक्ति होना असंभव सा होता है। इन एडहॉक शिक्षकों को मैटरनिटी लीव, मेडिकल लीव जैसी छुट्टियां भी नहीं मिल पातीं। इतना ही नहीं एडहॉक शिक्षकों की सेवाएं बिना किसी नोटिस के खत्म कर दी जाती हैं। बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में करीब 40 फीसद शिक्षक एडहॉक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहें हैं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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