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विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियों का रास्ता खुला, चुनाव आयोग ने दिए निर्देश

भारत निर्वाचन आयोग ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (उच्च शिक्षा विभाग) के सचिव को सर्कुलर जारी करते हुए यह निर्देश दिए हैं कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शैक्षिक व गैर शैक्षिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा सकती है बशर्ते उनके परिणाम चुनाव तक घोषित ना किए जाएं।

मंत्रालय को भेजे गए सर्कुलर में कहा गया है कि भर्ती प्रक्रिया के संदर्भ में आयोग को कोई आपत्ति नहीं है बल्कि सहमति प्रदान करते हुए कहा है कि चुनाव पूर्ण होने तक भर्ती के परिणाम ना घोषित किए जाए क्योंकि चुनाव के समय इससे बाधा उत्पन्न हो सकती है, इसके बाद परिणाम घोषित किए जा सकते हैं।

चुनाव आयोग की मंशा शिक्षकों के पक्ष में

दिल्ली विश्वविद्यालय विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने निर्वाचन आयोग के इस कदम पर अपनी प्रश्नन्तता जाहिर करते हुए कहा है कि चुनाव आयोग की मंशा शिक्षकों के पक्ष में है। उन्होंने बताया है कि चुनाव आयोग ने शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने संबंधी मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उपसचिव (डिप्टी सेक्रेटरी) ने भारत के चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शैक्षिक व गैर शैक्षिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) मांगा था जिससे उच्च शिक्षण संस्थानों में खाली पदों को भरा जा सके। उन्होंने कहा है कि इस सर्कुलर के बाद यदि सरकार की मंशा शिक्षकों के पक्ष में है तो वह जल्द से जल्द विश्वविद्यालयों/विभागों/कॉलेजों में नियुक्ति शुरू कराए।

सुमन का कहना है कि है कि इस सर्कुलर से देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षक भर्ती का रास्ता खुलने से हजारों बेरोजगार युवाओं को शिक्षक बनने का सपना पूरा होगा।

40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हजारों पद खाली

40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 1 अप्रैल 2018 के अनुसार प्रोफसर के लिए स्वीकृत पद 2,426, एसोसिएट प्रोफेसर के लिए 4,805 व सहायक प्रोफेसर के लिए 9,861 पद हैं। इस तरह से कुल 17,902 पद हैं।

इन खाली पड़े पदों में प्रोफेसर के लिए 1,301, एसोसिएट प्रोफेसर के 2,185, सहायक प्रोफेसर के 2,120 पद हैं। कुल 5,606 पद खाली हैं। इसमें सबसे ज्यादा पद एससी, एसटी, ओबीसी व पीडब्ल्यूडी के शिक्षकों के हैं, जिन्हें विश्वविद्यालयों ने लंबे समय से नहीं भरा है।

दो साल पहले निकाला था विज्ञापन

प्रो. सुमन ने बताया है कि वैसे तो दिल्ली विश्वविद्यालय ने दो साल पहले विभिन्न विभागों और कॉलेजों में खाली पड़े पदों को भरने के विज्ञापन निकाले गए थे। आवेदनों की स्क्रीनिंग व स्क्रूटनी करने के बाद विश्वविद्यालय को 4 लाख 11 हजार आवेदन पत्र प्राप्त हुए। इसके बाद विश्वविद्यालय के तीन विभागों और दौलतराम कॉलेज के एक विभाग के बाद नियुक्ति की प्रक्रिया बंद हो गई।

उन्होंने बताया है कि पिछले 15 महीने से कॉलेजों में कोई नियुक्ति नहीं हुई। उन्होंने डीयू कुलपति प्रो. योगेश कुमार त्यागी से मांग की है कि पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय और अब चुनाव आयोग के शिक्षकों की भर्ती पर सकारात्मक पहल के बाद शिक्षकों की नियुक्ति समय पर हो।

जल्द हो ईसी की बैठक

प्रो. त्यागी से प्रो. सुमन ने यह भी मांग की है कि आगामी शैक्षिक सत्र के शुरू होने से पूर्व जिन पदों के विज्ञापन निकाले जा चुके हैं उन पदों पर इंटरव्यू कराने के लिए ईसी की बैठक बुलाकर विज्ञापित पदों की समय सीमा समाप्त होने पर उन पदों के लिए कोरिजेंडम निकालकर पदों को भरा जा सकता है अन्यथा फिर से पदों के विज्ञापन, स्क्रूटनी, स्क्रीनिंग आदि में 6 महीने का समय लग सकता है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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