SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

कॉलेजों में पदोन्नति के रास्ते में फिर आई अड़चन

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से सम्बद्ध कॉलेजों में होने वाली शिक्षकों की पदोन्नति में एक बार फिर बाधा उत्पन्न हो गई है। हाल ही में एक कॉलेज का मामला सामने आया है कि एडहॉक मामलों पर गठित कमेटी की रिपोर्ट आने तक पदोन्नति में एडहॉक सर्विस शामिल नहीं होगी और पदोन्नति का आधार बिना एडहॉक सेवाओं के पदोन्नति के मामले में यूजीसी के पूर्व दिशा निर्देशों का ही पालन किया जाएगा। ऐसा एक कॉलेज के प्राचार्य ने सार्वजनिक पत्र लिखकर शिक्षकों के संज्ञान में लाया है।

पदोन्नति संबंधी मामले में कॉलेज का कहना है कि चूंकि अभी तक एडहॉक मामलों पर गठित कमेटी की रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि एडहॉक सेवाओं को पदोन्नति के मामले में शामिल किया जाये अतः तब तक जब तक रिपोर्ट नहीं आ जाती वही शिक्षक आवेदन करें जो एडहॉक सेवाओं को उसमें नहीं शामिल करके पदोन्नति चाहते हैं। साथ ही जिन्होंने पहले एडहॉक सेवाओं को शामिल करते हुए पदोन्नति के लिए आवेदन करने के लिए कहा गया है अर्थात उनके आवेदन निरस्त माने जाएंगे।

दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की मंशा पदोन्नति के मामले तथा शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ रही है, बार-बार कुछ ना कुछ तकनीकी समस्याएं दिखाकर अवरोध उत्पन्न किए जा रहे हैं जबकि यदि रिपोर्ट नहीं आई है तो बात ना करके पूर्व में एडहॉक सर्विस को शामिल कर पदोन्नति का जो आधार माना गया था उसी आधार पर अग्रिम रिपोर्ट आने तक पदोन्नति क्यों नहीं की जा रही। इसका मतलब है कि विश्वविद्यालय प्रशासन वास्तव में पदोन्नति करना ही नहीं चाहता। जबकि पूर्व में एडहॉक सर्विस शामिल करते हुए पदोन्नति की जा चुकी है ऐसे में पदोन्नति ना करना कानूनी तौर पर अवैध है। उनका कहना है कि यूजीसी के निर्देशों के अनुपालन और आगे दिशा निर्देशों के अनुसार होना चाहिए।

प्रो. सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने कॉलेज शिक्षकों की पदोन्नति करने संबंधी पिछले दिनों एक सर्कुलर भेजा था, जिसमें उनसे वे दस्तावेज मांगे गए थे जो केरियर एडवांस स्कीम (केस) के तहत पदोन्नति के पात्र हैं वे शिक्षक यूजीसी और दिल्ली विश्वविद्यालय के दिशा निर्देशों के अनुसार एक स्तर से दूसरे स्तर पर पदोन्नति के लिए 31 मई तक दिए गए फॉर्मेट पर पुनः आवेदन करें।

उनका कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज ने अपने शिक्षकों को सूचना जारी करते हुए कहा है कि इन बातों पर ध्यान दे।यूजीसी के निर्देशों के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय एडहॉक शिक्षकों की सेवाएं एक स्तर से दूसरे स्तर पर पदोन्नति के लिए एडहॉक सर्विस शामिल नहीं की जाएगी जब तक कि एडहॉक मामलों पर गठित कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ जाती।उनका कहना है कि जो शिक्षक बिना एडहॉक सर्विस काउंट किए पदोन्नति चाहते हैं वहीं पदोन्नति के लिए आवेदन करें।

प्रो. सुमन ने बताया है कि शिक्षकों को जो सूचना दी गई हैं उसमें अभ्यर्थियों का मूल्यांकन उनकी योग्यता निर्धारण की तिथि से आरम्भ माना जायेगा। साथ ही दी गई तिथि के बीत जाने के बाद कोई आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त संबंधित दस्तावेज और दिशा निर्देशों की कॉपी वेबसाइट पर डाल दी गई है।

शिक्षकों को उठाना पड़ रहा है नुकसान

प्रो. सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति न होने के साथ-साथ कुछ कॉलेजों में 10 से 15 साल से शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हुई है। शिक्षकों की पदोन्नति न होने से उन्हें हर साल लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

एडहॉक सर्विस पहले भी काउंट हुई है

उन्होंने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय व उससे सम्बद्ध कॉलेजों में जब शिक्षकों की पदोन्नति हुई उस समय उनकी एडहॉक सर्विस काउंट हुई है लेकिन डीयू में यह पहला मौका है जब उनकी एडहॉक सर्विस काउंट नहीं की जा रही है। यदि उनकी सर्विस काउंट नहीं होगी तो आने वाले समय में जो एडहॉक टीचर्स 15 से 20 सालों से पढ़ा रहे हैं जब वे स्थायी हो जाएंगे तो उनकी सर्विस काउंट नहीं होंगी तो वे असिस्टेंट प्रोफेसर ही अपनी सर्विस से सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इतनी लंबी सेवा विश्वविद्यालय को देने के बाद आखिर उन शिक्षकों को डीयू प्रशासन से क्या मिला।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

Be the first to comment on "कॉलेजों में पदोन्नति के रास्ते में फिर आई अड़चन"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*