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हफ़्ते दर हफ़्ते

शिक्षक दिवस : सिर्फ केक के साथ न कट जाए यह दिन

रात अंधेरी हो चली है। नगर से बाहर नदी के किनारे एक कुटिया में दीपक जल रहा है। इस दीपक के प्रकाश में दो आकृतियां नजर आ रही हैं। एक किसी वृद्ध की जिनका तेज…


अमृता: इमरोज का वो कैनवास, जिससे सबने केवल इश्क चुराया

प्रिय अमृता, माफ करना, बिना पूछे या जाने ही तुम्हें प्रिय लिख रहा हूं। लेकिन क्या करूं, तुम्हारे बारे में पढ़-पढ़ कर बस इतना ही समझ पाया कि तुम प्रेम की किसी मूरत जैसी ही…


अमृता प्रीतम के 100 सालः वो कविताएं जो हर प्रेमी-प्रेमिका के दिलों में बसती हैं

तुम मिले तो कई जन्म मेरी नब्ज़ में धड़के तो मेरी साँसों ने तुम्हारी साँसों का घूँट पिया तब मस्तक में कई काल पलट गए- एक गुफा हुआ करती थी जहाँ मैं थी और एक…


शैलेंद्र गीतों का चित्रकार, जिसके लिखे में आंसू और मन का चेहरा नजर आता था

चांदनी रात में सागर किनारे उल्टी पड़ी नाव पर दो प्राणी बैठे थे। एक गंभीर और दूसरा कुछ अनमना सा। अनमने अधीर ने यौवन में ही चढ़ आए अपने मोटापे को थोड़ा संभालते हुए कहा,…