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एक बार फिर यति नरसिंहानंद ने दिया मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ भाषण

हिन्दू महापंचायत और इन महापंचायतों में शामिल होने वाले महंत और साधु लगातार अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ भड़काऊ भाषण देने के साथ नफ़रत फैला कर धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने का काम भी कर रहे है। ये भाषण पुलिस की निगरानी मे खुले मंचों से दिए जाते हैं जबकि ऐसे आयोजनों की अनुमति पुलिस की ओर से नहीं दी जाती बावज़ूद इसके ऐसे सम्मेलन सफलतापूर्वक किए जाते हैं। दूसरी ओर पिछले कई सालों में देश के कई हिस्सों में हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। जिनमें मुख्य आरोपी मुस्लिम समुदाय के बताए गए या आरोपित बनाए गए। जिनमें 2020 में दिल्ली दंगे में कथित तौर पर भूमिका के आरोप में दिल्ली पुलिस ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद का मामला भी है। खालिद पर दंगा भड़काने, साजिश रचने, लोगों को उकसाने, भड़काऊ भाषण देने के गंभीर आरोप लगे थे।
इन हिंसक घटनाओं में कई लोगों की मृत्यु भी हुई हैं। ये घटनाएं किसी मंच पर दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण नहीं हुई बल्की सोशल मीडिया साइट्स जैसे फेसबुक और ट्विटर पर किए गए पोस्ट्स के कारण हुई।

दोनों ही मामलों में किसी को सही नहीं बताया जा सकता है लेकिन सवाल ये उठता है कि जब दोनों ही मामलों में भड़काऊ भाषण या हेट स्पीच का उपयोग किया जाता है और दोनों ही मामलें एक समान समाज में हिंसा को बढ़ावा देने का काम करते हैं तो दोनों की सज़ा और कानूनी कार्यवाही में अन्तर क्यों?

कोई संत, साधु, महंत किसी मंच से खुले आम भड़काऊ भाषण दे तो उस पर केवल गिरफ्तारी और छोटी मोटी कार्यवाही होती है लेकिन अगर ऐसी ही घटना में कोई अल्पसंख्यक, दलित या मुस्लिम आरोपी होता है तो उनपर न जाने कितनी धाराओं के तहत ग़ैर जमानती मामले दर्ज़ किए जाते हैं, उन को देशद्रोह के अन्तर्गत UAPA लगा कर जेलों में महीनों-सालों बंद रखा जाता है।

दरअसल उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में 3 अप्रैल को एक हिन्दू महापंचायत का आयोजन हुआ इस महापंचायत में वहां मौजूद महंत और आयोजकों ने मंच से खुलेआम हिंदुओं को ज़्यादा बच्चे पैदा करने और हथियार उठाने की अपील की है।
बुराड़ी में आयोजित इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिन्दू संगठनों से जुड़े लगभग 500 कार्यकर्ता मौजूद थे। उन्हीं के साथ वहां पिछले कुछ महीनों से सुर्खियों का हिस्सा रहने वाले यती नरसिंहानंद भी मौजूद थे। इनके साथ मंच पर हिंदू रक्षा दल के अध्यक्ष पिंकी भैया उर्फ़ भूपेंद्र तोमर भी मौजूद थे।
इसके अलावा सुदर्शन न्यूज़ चैनल के संपादक सुरेश चव्हाणके, सेव इंडिया फ़ाउंडेशन के संस्थापक प्रीत सिंह और दूसरे कई चेहरे मौजूद थे।

सेव इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस हिन्दू  महापंचायत का कार्यक्रम सुबह 10 बजे यज्ञ से शुरू हुआ। विशाल पंडाल में जैसे जैसे भीड़ बढ़ने लगी वैसे वैसे नारेबाजी भी तेज़ होने लगी।
इस महापंचायत में मौजूद नेताओं ने मंच से पांच मांगें उठाईं। मंच के पीछे लगे बड़े पोस्टर में ये पांच मांगें लिखी हुई थीं- जनसंख्या नियंत्रण, समान शिक्षा, मंदिर मुक्ति, घुसपैठ नियंत्रण और धर्मांतरण नियंत्रण। मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए वहाँ मौजूद वक्ता, भड़कीले तेवरों में इन्हीं पांच मुद्दो को आधार बना कर भाषण दे रहे हैं थे।

महंत यति नरसिंहानंद ने मंच से हिन्दुओं के साथ साथ मुसलमानों को ललकारते हुए अपना भाषण शुरू किया। भाषण में उन्होंने कहा कि “केवल बच्चे पैदा करो। अभी जाओ, जो बच्चे पैदा कर सकते हो, वो कर लो और अपने बच्चों को लड़ने लायक बनाओ। अगर तुम चाहते हो कि इस धरती पर हिंदू-मुसलमानों की लड़ाई ना हो तो इसका एक तरीका है , जैसे कश्मीर के लोग अपनी ज़मीन-जायदाद और अपनी बेटियों को छोड़कर भागे, ऐसे ही तुम छोड़कर भाग जाओ और हिंद महासागर में डूब कर मर जाओ, केवल यही रास्ता है तुम्हारे पास।

 

महंत ने अयोध्या की राम जन्मभूमि को लेकर मुस्लिम समुदाय पर सवाल उठाए।  नरसिंहानंद ने दावा किया, “राम जन्मभूमि भी मांगने से हमें नहीं मिली है। वो हमें कोर्ट जाकर मिली है। उधर, एक-एक मुसलमान ने कसम खाई है कि जिस दिन इस देश का निज़ाम हमारे हाथ में होगा, हम इस मंदिर को तोड़ेंगे और दोबारा से मस्जिद बनाएंगे। “

महंत यति नरसिंहानंद यहां नहीं रुकते जारी रखते हुए उन्होंने हिंदुओं से हथियार उठाने की अपील की। “जितना प्यार पतिव्रता औरत अपने मंगलसूत्र से करती है, मर्द उतना ही प्यार अपने हथियारों से करते हैं। “

हिंदू महापंचायत के मंच से दूसरे सभी वक्ता अपने भाषणों में भड़काऊ भाषा का उपयोग कर रहे थे । कोई लाल किले पर भगवा झंडा फहराने की बात कह रहा था तो कोई मुसलमानों का डर दिखाकर हिंदुओं से आबादी बढ़ाने की अपील कर रहा था।

बता दें कि इससे पहले भी यति नरसिंहानंद को जनवरी 2022 में मुसलमानों के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में हरिद्वार में गिरफ़्तार किया गया था। हिंदू रक्षा दल के अध्यक्ष पिंकी भैया उर्फ़ भूपेंद्र तोमर भी अगस्त 2021 में जंतर मंतर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ़्तार हो चुके हैं।

इस महापंचायत के आयोजक और सेव इंडिया के कर्ताधर्ता प्रीत सिंह भी इससे पहले आठ अगस्त 2021 को जंतर-मंतर पर हिंदू महापंचायत आयोजित कर चुके हैं। उस कार्यक्रम के दौरान मुसलमान विरोधी नारेबाज़ी हुई थी जिसके बाद प्रीत सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
दिसंबर 2021 को हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में कई साधु संतों ने विवादित भाषण दिए जिनमें धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, मुस्लिम प्रधानमंत्री न बनने देने, मुस्लिम आबादी न बढ़ने देने समेत धर्म की रक्षा के नाम पर कई विवादित बयान थे। इसके बाद पुलिस ने महंत यति नरसिंहानंद को हेट स्पीच को लेकर मामला दर्ज किया था।

बुराड़ी हिन्दू महापंचायत में मौजूद कार्यकर्ताओं ने वहां आए पत्रकारों के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी , कार्यकर्ताओं के अनुसार वह पत्रकार मुस्लिम थे। जिसके बाद कार्यकर्ताओं ने उन पत्रकारों के साथ मारपीट भी की। बाद में दिल्ली पुलिस ने हस्तक्षेप किया और उन पत्रकारों को अपनी गाड़ी में बलपूर्वक बैठा कर ले गई। बाद में डीसीपी नॉर्थ वेस्ट उषा रंगनानी ने ट्वीट कर सफ़ाई दी कि पुलिस सुरक्षा के मद्देनज़र पत्रकारों को अपने साथ ले गई थी। किसी पत्रकार को गिरफ़्तार नहीं किया गया है।

 

सूत्रों के अनुसार, हिंदू महापंचायत में जिस दौरान मंच से भड़काऊ भाषण दिए जा रहे थे उस दौरान दिल्ली पुलिस के कई अधिकारी वहीं मौजूद थे।
ग़ौरतलब है कि आयोजन के लिए दिल्ली पुलिस ने अगर अनुमति नहीं दी थी तो इस आयोजन को पुलिस ने रोका क्यों नहीं?
इस विवादित महापंचायत के बाद आयोजकों और दूसरे हिन्दू संगठनों ने कहा कि भविष्य में भी ऐसे आयोजन करते रहेंगे।
यहां ये भी देखने वाली बात होगी कि क्या इस महापंचायत में शामिल यति नरसिंहानंद और दूसरे आरोपियों पर किस प्रकार की कार्यवाही होती है क्या उन पर भी देश द्रोह की धाराओं के अंतर्गत UAPA लगाया जाएगा या फ़िर मामूली कार्यवाही होगी?

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

सुमित
सुमित वीडियो जर्नलिस्ट के साथ -साथ समसामयिक मुद्दों पर लेखन भी करते हैं।

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