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आईआईएमसी में फीस वृद्धि को लेकर छात्र भूख हड़ताल पर

भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के छात्रों का महीनों से फीस वृद्धि को लेकर चल रहे प्रदर्शन ने नया मोड़ ले लिया है। प्रशासन की ओर से कोई खास राहत न मिलने पर और उल्टे उन्हें परेशान करने की वजह से छात्र 18 फरवरी से भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।

बता दें कि ये छात्र सस्ती शिक्षा की मांग को लेकर महीनों से विरोध कर रहे हैं। आईआईएमसी प्रशासन छात्रों की मागों को लगातार नजरअंदाज कर रहा है। हाल ही में ही प्रशासन की ओर से सर्कुलर जारी कर फीस जमा करने को कहा गया है, जिसे छात्र स्थगित करने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले 10 फरवरी को 11 छात्रों को सस्ती शिक्षा पर चर्चा करने के कारण निलंबित कर दिया गया। आईआईएमसी के 11 छात्रों का दावा है कि उन्हें सस्ती शिक्षा के संबंध में एक चर्चा आयोजित कराने पर प्रशासन की तरफ से कारण बताओ नोटिस मिला है और उन्हें निलंबित कर दिया गया।

भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों का कहना है कि सस्ती किफायती शुल्क ढांचे को लेकर आईआईएमसी के छात्रों ने इससे पहले प्रदर्शन जब शुरू किया तो प्रशासन से दिसम्बर 2019 में फीस सर्कुलर को रुकवाकर अपनी आधी लड़ाई जीत ली थी। आईआईएमसी प्रशासन कार्यकारिणी समिति को तत्काल बैठक बुलाना पड़ा। इस उम्मीद में कि प्रशासन कुछ करेगा, छात्रों ने अपना प्रदर्शन कुछ समय के लिए रोक दिया। 13 जनवरी को जारी सर्कुलर में बताया गया कि कार्यकारिणी समिति एक कमेटी का गठन करेगी जो 2 मार्च तक छात्रों के फीस से जुड़े मामले की समीक्षा कर संबंधित अधिकारी को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

लेकिन आईआईएमसी प्रशासन ने अचानक 10 फरवरी को फीस जमा करने का सर्कुलर जारी कर दिया। छात्रों ने प्रशासन से इस पूरी घटना पर 48 घंटे के भीतर अपना पक्ष रखने का आग्रह किया लेकिन, 48 घंटे पूरा होने के बाद भी प्रशासन चुप्पी साधे बैठा । छात्रों का कहना है कि संस्थान प्रशासन हमारे साथ छल कर रहा है और सभी नियम कानून को ताक पर रख कर मनमाने तौर पर धन उगाही करना चाहता है। आईआईएमसी प्रशासन के इस रवैये से छात्रों में बहुत रोष है। इसलिए छात्र अब अपनी मांगों को लेकर 18 फरवरी से भूख हड़ताल पर बैठ गये हैं।

आईआईएमसी के छात्र हामिद का कहना है कि संस्थान प्रशासन हमारी जायज मांग और कार्यकारिणी समिति के निर्देश को न मानकर हमें धोखा दिया है। हम अपने साथ हो रहे अत्याचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकते।

इससे पहले जेएनयू में हॉस्टल फीस वृद्धि को लेकर प्रदर्शन शुरू हुआ था। इसके बाद कई विश्वविद्यालयों और संस्थानों में फीस वृद्धि और सस्ती शिक्षा को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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