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डीयूः मैत्रेयी कॉलेज में वर्तमान युग में जैव प्रौद्योगिकी पर आयोजित हुआ राष्ट्रीय सेमिनार

मैत्रेयी कॉलेज ने डीबीटी के सीएसटीपी कार्यक्रम के तहत, भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से 23 अगस्त को “वर्तमान युग में जैव प्रौद्योगिकी: मानव जीवन और पर्यावरण पर प्रभाव” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया। यह कार्यक्रम तीन सत्रों में विभाजित था, जिसके मुख्य अतिथि यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो. भूषण पटवर्द्धन थे। गौरतलब है कि यूजीसी उपाध्यक्ष प्रो. पटबर्द्धन की दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी कॉलेज में यह पहली यात्रा थी।

प्रो. पटवर्द्धन को मैत्रेयी कॉलेज के ही स्टार्ट-अप उद्यम ‘कृति’ के अंतर्गत कॉलेज की छात्रा द्वारा बनाई गई  पेंटिंग और कॉलेज के ही एक अन्य स्टार्टअप उद्यम ‘गुलिस्तान’ के अंतर्गत पल्लवित और पोषित पौधा देकर सम्मानित किया गया। मैत्रेयी कॉलेज की विभिन्न उपलब्धियों से अभिभूत मुख्य-अतिथि प्रो. पटबर्द्धन ने कहा कि डॉ. हरित्मा चोपड़ा के उत्कृष्ट नेतृत्व में संकाय सदस्यों के आपसी सामंजस्य और कल्पनाशील छात्राओं के साथ मैत्रेयी कॉलेज वास्तव में एक मॉडल कॉलेज है।

सभा को संबोधित करते हुए कॉलेज की कार्यवाहक प्राचार्या डॉ. हरित्मा चोपड़ा ने “जैव प्रौद्योगिकी” के महत्व और कृषि, स्वास्थ्य और चिकित्सा पर इसके  प्रभाव पर बल देने के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य पर संभावित नकारात्मक प्रभाव को लेकर चिंता भी अभिव्यक्त किया। सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि एवं गवर्निंग बॉडी मैत्रेयी कॉलेज के चेयरपर्सन प्रो. बालगणपति देवरकोंडा ने जोर देकर कहा कि यह कार्यक्रम प्रारंभिक और उच्च शिक्षा के बीच की खाई को पाटने की योजना का अच्छा उदाहरण है। डीबीटी के पूर्व-सलाहकार डॉ. सुमन गोविल और कॉलेज की कोषाध्यक्ष प्रो. अमरजीत कौर और मद्रास विश्वविद्यालय के भौतिक एवं रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ई. मुरुगन भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

बायोफिजिक्स विभाग, एम्स की प्रो. सविता यादव  द्वारा  ‘लाइफस्टाइल, पर्यावरण और मानव कैंसर’ विषय पर उद्घाटन वार्ता की गई। जेएनयू के स्कूल ऑफ एनवायरनमेंटल साइंस के प्रो. आर. पॉलराज ने मानव स्वास्थ्य पर एडवांस्ड मोबाइल प्रौद्योगिकी के प्रभावों पर अपना व्याख्यान दिया। इसी क्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग में कार्यरत प्रो. डीके सिंह द्वारा एक और वार्ता की गई। इस वार्ता में बायोरेडिएशन ऑफ़ एग्रोकेमिकल्स, यमुना के पानी में मौजूद भारी धातु एवं इसके सकारात्मक प्रयोग इत्यादि विषयों को रखा गया।

‌मध्याह्न भोजनोपरांत आयोजित सत्र में विद्यार्थी संबंधी गतिविधियों को रखा गया था। जिसमें वेस्ट मैनेजमेंट पर स्किट,  मानव स्वास्थ्य के लिए नोवेल टेक्नोलॉजीज पर लघु फिल्म,  स्वास्थ्य, स्वच्छता और बीमारियों पर कोरियोग्राफी शामिल थी। कोरियोग्राफी में पांच एंट्री, शॉर्ट फिल्म में तीन और वेस्ट मैनेजमेंट पर स्कीट में तीन एंट्री थी। इन गतिविधियों में स्कूली छात्र-छात्राओं ने भी भाग लिया। स्कूली छात्र-छात्राओं ने लोगो डिजाइन और पोस्टर प्रस्तुति में भाग लिया। सम्मेलन में दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख स्कूलों जैसे क्रमानुसार संस्कृति, कार्मेल कॉन्वेंट, ब्लूबेल्स, सेंट एंथोनी, डीपीएस इंदिरापुरम, डीएवी लाजपत नगर और साधु वासवानी से लगभग 80 स्कूली छात्र-छात्राओं, 154 कॉलेज छात्र-छात्राओं और 50 शिक्षकों ने भाग लिया। कुल मिलाकर इस सम्मेलन में 284 प्रतिभागियों की भागीदारी रही और इस भागीदारी को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह सम्मेलन वास्तव में युवा और अनुभवी दिमागों का मिश्रण था।

पोस्टर प्रस्तुति सत्र विभिन्न कॉलेजों के युवा छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को अपने काम को प्रस्तुत करने के लिए था। सनद रहे कि डॉ. अनामिका सिंह के संयोजन में आयोजित इस एक दिवसीय सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य जैव प्रौद्योगिकी के सभी संबंधित क्षेत्रों में हाल के घटनाक्रमों को साझा करने और उन पर विचार करने के लिए एक मंच प्रदान करना था। यह सम्मेलन स्कूल के युवा छात्र-छात्राओं के लिए पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के क्षेत्र में नवीनतम और उन्नत प्रौद्योगिकियों के बारे में ज्ञान प्राप्त करने का एक शानदार अवसर था। पुरस्कार वितरण के साथ ही प्रस्तुत सम्मेलन का सफल समापन हो गया ।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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