SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

नई शिक्षा नीति के विरोध का प्रभाव दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के चुनाव में देखने को मिलेगा!

दिल्ली विश्वविद्यालय एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम की एक बैठक में नई शिक्षा नीति को डीयू शिक्षकों ने दलित पिछड़ा विरोधी बताया, और कहा कि सरकार के शिक्षक संघ को डूटा में नहीं करेंगे वोट

दिल्ली विश्वविद्यालय एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम की एक बैठक डूटा चुनाव व नई शिक्षा नीति का दलित, पिछड़े वर्गों के अभ्यर्थियों पर प्रभाव को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में हुई। इसकी अध्यक्षता फोरम के नव निर्वाचित अध्यक्ष प्रो. कैलाश प्रकाश सिंह यादव ने की। बैठक में विभिन्न कॉलेजों के शिक्षकों ने इसमें भाग लिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि नई शिक्षा नीति के साथ-साथ सरकार के शिक्षक संघ के जो उम्मीदवार डूटा चुनाव में खड़े किए गए हैं उनको वोट नहीं करेंगे और जल्द ही फोरम सरकार की नई शिक्षा नीति के विरोध में सड़कों पर उतरेगा।

बैठक में शिक्षकों ने नई शिक्षा नीति के तहत आने वाले विभिन्न नीति नियमों पर बातचीत की, जिसमें शिक्षकों ने नई शिक्षा नीति के उपर अपना रोष प्रकट करते हुए सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए इस शिक्षा नीति को दलित, पिछड़े शिक्षकों के विरोध में बताया और कहा है कि नई शिक्षा नीति आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को उच्च शिक्षा में आने से रोकती है।

नई शिक्षा नीति पर अपने विचार रखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने कहा कि विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में पहले स्थायी नियुक्ति प्रक्रिया के बाद 1 साल का प्रोबेशन का कार्यकाल रखा गया था, लेकिन अब नई शिक्षा नीति के तहत 5 वर्ष का कर दिया गया है, यह शिक्षक विरोधी नीति का एक उदाहरण है, जिसमें संस्था के प्राचार्य और कुलपति के हस्तक्षेप की पूरी गुंजाइश होगी कि वह किसे प्रोबेशन पीरियड के बाद स्थायी नियुक्ति दे अथवा पुनः 5 वर्ष के लिए प्रोबेशन पीरियड में रखे।

प्रो. सुमन ने बताया है कि यही नहीं इसके आगे के नियम और भी खतरनाक हैं क्योंकि प्रत्येक 5 साल के बाद शिक्षकों के कार्यों की समीक्षा की प्रक्रिया बनाई गई है जिसमें प्राचार्य के पास शिक्षक की पदोन्नति का एकाधिकार होगा और वह इसमें मनमानी कर सकता है। अभी तक विश्वविद्यालय/कॉलेज की स्थिति यह है कि वह अपनी शिक्षण कार्य के लिए स्थायी नियुक्ति के बाद पूर्णतः स्वतंत्र होता है, लेकिन नई शिक्षा नीति में वह प्राचार्य के दबाव में रहकर कार्य करेगा जो उच्च शिक्षा की प्रकृति के विरुद्ध है। इसमें दलित व पिछड़े वर्ग के शिक्षक भेदभाव के कारण हमेशा प्राचार्य के निशाने पर रहेंगे।

उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह से सरकार स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया को 5-5 साल के मूल्यांकन में बांधकर उसकी प्रकृति को खत्म कर देना चाहती है और शिक्षक गुलाम की तरह हो जायेगा जहां शिक्षण कार्य पूरी तरह प्रभावित होगा।

डॉ. विनय कुमार ने कहा कि उच्च शिक्षा खास वर्गों के लिए रह जायेगी क्योंकि जिस तरह से सरकार शिक्षा का निजीकरण कर रही उससे लगता है कि उच्च शिक्षा दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों के लिए एक सपना बनकर रह जायेगी। उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वान किया है कि वह सरकार की उच्च शिक्षा विरोधी नई शिक्षा नीति को लागू नहीं होने दें, इसका डटकर मुकाबला करें वरना भविष्य में उच्च शिक्षा में आरक्षित वर्ग नहीं आ पायेगा।

नई शिक्षा नीति पर अपने अध्यक्षीय भाषण में बोलते हुए प्रो. कैलाश प्रकाश सिंह यादव ने कहा कि नई शिक्षा नीति से नियुक्ति प्रक्रिया पर असर पड़ेगा, क्योंकि 5 साल के मूल्यांकन से जब शिक्षकों के पदोन्नति बाधित होंगे तो बहुत से योग्य अभ्यर्थी जो शिक्षा के क्षेत्र में आना चाहते हैं वे अन्य संस्थानों को अपनी सेवाएं देंगे। इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों में सरकार संस्थानों से अधिक वेतन पर बुलाकर यदि योग्य शिक्षकों को रखा जायेगा तो स्वाभाविक है कि सरकारी संस्थान की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगेगा।

बैठक के अंत में सभी शिक्षकों ने सरकार द्वारा जल्द ही आ रही नई शिक्षा नीति का पुरजोर विरोध के साथ-साथ सरकार के शिक्षक संगठन द्वारा खड़े किए उम्मीदवारों को वोट नहीं देने की बात रखी। सभी ने समर्थन करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति दलित, पिछड़ा और आदिवासी विरोधी बताया। डॉ. अनिल कुमार, डॉ. मनोज, डॉ. रामकुमार पालीवाल, डॉ. राजेश कुमार ने भी अपने विचार रख नई शिक्षा नीति को आरक्षित वर्गों के खिलाफ बताया। बाद में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विनय कुमार ने किया।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

Be the first to comment on "नई शिक्षा नीति के विरोध का प्रभाव दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के चुनाव में देखने को मिलेगा!"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*