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सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने से किया मना, अब क्या होगी किसानों की रणनीति?

किसान आंदोलन को आज 40 दिन हो चुके हैं। 4 जनवरी यानी सोमवार को सरकार और किसान नेताओं की बातचीत बेनतीज़ा रही। हर बार की तरह सरकार ने इस बार भी कृषि कानूनों को वापस लेने से मना कर दिया। लगातार किसान आंदोलन में देश के अलग-अलग राज्य, जिलों और शहरों से किसान जुड़ते जा रहे हैं, लेकिन एक और चुनौती किसानों के सामने हैं वो ये कि ठंड और बारिश के बीच सड़कों पर डटे रहना काफी मुश्किल है। बीते दो दिनों से दिल्ली में लगातार बारिश हो रही है। सड़कों पर किसानों ने जो टेंट लगाये थे उनमें से कुछ में पानी चला गया और कुछ सुरक्षित हैं। वैसे बारिश से बचने के लिए भी वॉटरप्रूफ टेंट की सुविधा की गई है। बॉर्डर पर लगातार लंगर चलता रहता है फिर चाहे, सर्दी हो या बरसात हो।

8 जनवरी को फिर से होगी बैठक

किसान नेता राकेश टिकैत ने तो यहां तक कह दिया है कि कानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं। साथ ही राकेश टिकैत ने ये भी कहा कि जितना जल्दी कानून वापस ले लेगी उतना जल्दी सरकार को आराम मिलेगा। उन्होंने एक बात ओर साफ कर दी है कि कानून बगैर वापसी के कोई समझौता नहीं करेंगे। आपको बता दें कि अब तक 8 बार बैठक हो चुकी है न तो किसान पीछे हटने को तैयार है न ही सरकार। अब अगली बैठक 8 जनवरी को होगी। किसान नेता सरवन सिंह का भी कहना है कि कृषि मंत्री ने साफ कहा है कि सरकार कानून वापस नहीं लेगी और किसान सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। हम अब लंबी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं और 26 जनवरी के दिन बड़ी रैली निकालेंगे। कुछ किसानों से भी बात कि जिनका कहना है कि हम अंबानी-अडानी को अपना अनाज नहीं देंगे फिर चाहे कुछ भी हो जाए।

 

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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