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पीएम के दिये जलाने की अपील के बाद सोशल मीडिया पर क्यों इतनी हलचल है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 9 बजे अपने वीडियो संदेश में देश की जनता से अपील करते हुए कहा कि वो 5 अप्रैल को रात को 9 बजे 9 मिनट तक घर की लाइटें बंद करके घर के दरवाज़े पर या बालकनी में मोमबत्ती, दिया, टॉर्च या मोबाइल फ़्लैशलाइट जलाएं।

उनका कहना है कि महामारी के दौरान निरंतर प्रकाश की ओर जाना है, सबसे ज़्यादा प्रभावित ग़रीबों को निराशा से आशा की ओर ले जाना है। इस संकट से अंधकार और अनिश्चितता जो पैदा हुई है उससे उजाले की ओर बढ़ना है। इसे पराजित करने के लिए प्रकाश के तेज को चारों दिशाओं में फैलाना है इसलिए इस रविवार को 5 अप्रैल को हम सबको मिलकर कोरोना के संकट के अंधकार को चुनौती देनी है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “इससे प्रकाश की महाशक्ति उजागर होगी. इस उजाले से हम संकल्प करें कि हम अकेले नहीं हैं.” उन्होंने आगे कहा, “इस दौरान किसी भी हालत में सोशल डिस्टेंसिग की लक्ष्मण रेखा को लांघना नहीं है। सोशल डिस्टेंसिग ही कोरोना की बीमारी का रामबाण इलाज है।”

प्रधानमंत्री की इस अपील के बाद सोशल मीडिया उपयोगकर्ता दो धड़े में बंट गए- एक वे जिसने इस अपील का स्वागत किया औऱ एक वे जो इसकी आलोचना करने लगे। हास्य-व्यंग्य के माध्यम से तमाम लोग अपनी मीठी जुबां की लक्ष्मण रेखा को पार करते हुए गाली गलौज भी कर रहे हैं।

दरअसल इससे पहले प्रधानमंत्री ने जनता कर्फ्यू का एक दिन मांगा था और शाम 5 बजे लोगों से थाली बजाने की भी बात कही थी। लोगों ने प्रधानमंत्री से सवाल पूछा था कि आपके पास क्या और कोई योजना नहीं है? साथ ही थाली-ताली बजाने वाली बात की भी काफी आलोचना की गई थी। जनता कर्फ्यू के दिन य़ही कारण था कि प्रधानमंत्री की उस अपील की आलोचना कुछ हद तक सही साबित हुई। हुआ ये कि लोग 5 बजे थाली औऱ ताली बजाने के चक्कर में घरों से बाहर निकल गए। सोशल डिस्टेंसिंग का फार्मूला कुछ लोगों ने समझने की भूल कर दी। उन्हें प्रधानमंत्री की अपील केवल समझ आई। लोगों ने थाली बजाने और ताली बजाने की आलोचना खत्म की ही नहीं थी कि स्थिति को भांपते हुए प्रधानमंत्री ने देश के नाम अपने संबोधन में 21 दिनों की लॉकडाउन की घोषणा कर दी। इसके बाद से अब तक मजदूरों को लेकर सरकार की व्यवस्था से लेकर, मेडिकल उपकरणों की उपलब्धता को लेकर तमाम तरह से सरकार घिरती नजर आई। अब तक कोरोना संक्रमण के करीब 2500 मामले सामने आ चुके हैं जिसमें से 50 से ऊपर लोगों की मौतें हो चुकी हैं।

अभी पिछले 3-4 दिनों से सोशल मीडिया पर हिंदू और मुस्लिम हो रहा था। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर लोग जहर उगल रहे थे। कारण था- नुजामुद्दीन के एक धार्मिक सम्मेलन में 2000 से अधिक लोगों के जुटने और उनमें कोरोना के संक्रमण पाए जाने से संबंधित। मरकज के इस मौलानों के रवैये से तमाम हिंदू संगठनों ने सीधे मुस्लिमों के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक तरह से युद्ध छेड़ दिया था। लेकिन प्रधानमंत्री के 5 अप्रैल को दिये जलाने की बात सुनकर तुरंत सोशल मीडिया पर इसको लेकर पोस्ट की बाढ़ आ गई।

प्रधानमंत्री के थाली-ताली बजाने की तरह ही दीप जलाने को लेकर जो आलोचना हो रही है और इस अपील की प्रशंसा भी हो रही है। उसके कुछ उदाहरण आपके सामने पेश है-

अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने ट्वीट किया है-

वहीं नम्रता ने फेसबुक पर लिखा है-

हंसी मजाक अपनी जगह है, और चीजों गलत तरीके से परिभाषित करना अपनी जगह । पिछली बार ताली बजाने को लेकर भी यही बोला गया था और इस बार भी यही बोला जा रहा है कि दिया जलाकर हम कोरोना को भगाने वाले हैं । ऐसा दावा हमारे प्रधानमंत्री ने तो कभी नहीं किया कि हमारे इस कदम से ये वायरस भागने वाला है । पिछली बार हमने ताली बजाई थी तो वो कर्मवीरों के सम्मान में थी । और इस बार इसलिए दिया जलाना है की हम ये एहसास कर सकें कि पूरा देश इस संकट की घड़ी में एक साथ है , और हम सब एक साझी समस्या का सामना कर रहे हैं । मुझे नहीं लगता इसमें कोई बुराई है । और यूं भी थोड़ा चेंज अच्छा ही लगता है । बिना वजह के सोशल मीडिया पर चलने वाले हजार चैलेंज तो हम खुश होकर एक्सेप्ट कर रहे हैं तो इसमें क्या बुराई है जिसमें पूरा देश एक साथ शामिल है ।

हर्षित ने फेसबुक पर लिखा है-

दीपांकर पटेल ने फेसबुक पर लिखा है-

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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