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डीयू प्रशासन व पुलिस की भद्दी टिप्पणियां जिसने लड़कियों को सड़क पर आने के लिए मजबूर किया

डीयू की छात्रा की आपबीती, सुनिए उन्हीं छात्रा की जुबानी

दिल्ली विश्वविद्यालय में लॉ फैकल्टी की फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट हूं औऱ आंबेडकर गांगुली छात्रावास में रहती है। यह दिल्ली विश्वविद्यालय के गर्ल्स ह़ॉस्टल में से एक है। 27 फरवरी से हम लोग लगातार अनिश्चतकालीन धरने पर हॉस्टल गेट के बाहर बैठे हैं। 20 मांगों से से मुख्य मांगें हैं- हॉस्टल में लड़कियों के आने जाने को लेकर जो कर्फ्यू टाइमिंग है उसे हटाया जाए। रिएडमिशन प्रोसेस को हटाया जाए। सेंट्रलाइज्ड सिस्टम होल जिससे सभी छात्रावासों में खाली सीटों को भरा जाए। हमारा कर्फ्यू टाइमिंग हटाना नारा नहीं है बल्कि हम केवल यह चाहते हैं कि यूजीसी के रूल्स को लागू किया जाए। क्योंकि यूजीसी ने कहा है कि कुछ भी सुरक्षा के नाम पर ओवरमॉनेटरिंग या स्क्रूटनी नहीं होनी चाहिए। औऱ फिर राइट टू इक्वैलिटी के अगेंस्ट है क्योंकि ब्वायज हॉस्टल में ऐसा नहीं है।

आंबेडकर हॉस्टल की प्रोवोस्ट के रत्नाबली के गंदे कमेंट के बाद यह प्रदर्शन शुरू हुआ। हमारा एक हॉस्टल नाइट होने वाला था। उसमें एक लड़की के परफॉरमेंस को रद कर दिया गया था यह बोलकर कि यह वल्गर है, यह सेक्शुअल है और आने वाले गेस्ट को गलत फील करा सकता है। एक लड़की को यह बोला गया कि एक लड़की की बॉडी मिस्ट्री होती है और वो उसे ब्लाउज से कवर करे ताकि मिस्ट्री रिवील न हो। उन्होंने हर उस लड़की के प्रदर्शन को रद करा दिया जो उनके आइडियोलॉजी में फिट नहीं बैठते। प्रोवोस्ट हमेशा से ऐसे ही करती रही हैं। यहां पर इंटरव्यू लेकर एडमिशन इन्हीं सब वजह से दिया जाता है जबकि इसकी भी जरूरत नहीं है। जब हमने हॉस्टल नाइट को लेकर एकाउंटेबिलिटी मांगने गए तो उन्होंने हमसे कहा कि अगर नंगा नाचना है तो अंदर नाचो। अगर एक स्तन दिखा कर नाचना है तो भी अंदर नाचो। इसके बाद हम लोगों ने उनसे जब सवाल किया तो उन्होंने गार्ड से कहा कि इन्हें गेट के अंदर बंद कर दो। जाते-जाते कहा कि इन्हें ताले के अंदर रखो। जब हमने कहा कि आप भी एक औरत हैं आप भी अंदर रहिए तो उन्होंने कहा कि मैं तुम जैसी महिलाओं के लिए एक मर्द हूं। और मैं यहां पर हेड भी हूं। इसी के चलते रात के 2 बजे गेट का ताला तोड़ा गया।

हम लोग बाहर बैठते हैं तो अभी तक क्यों कोई एक्शन नहीं लिया गया। अगर हम लोग इनकी बेटियां हैं। बच्चियां हैं। बारिश हो या तूफान हम बाहर सड़क पर बैठे हैं तो अभी तक क्यों कोई एक्शन नहीं लिया गया है। अंडरग्रेजुएट हॉस्टल की टाइमिंग को 7 से अब बढ़ाकर 10 बजे तक कर दिया गया है। लेकिन अभी तक हमारी बातों को मानने से इंकार कर रहे हैं। रिजाइन तक करने को ये लोग तैयार हैं लेकिन हमारी मांगों को नहीं। इतनी सारी पुलिस हमारे कैम्पस में क्यों तैनात की गई हैं। एक तरीके का जो डर का माहौल है वो दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। हम उन्हें यह अहसास दिलाना चाह रहे हैं कि हमारा मुद्दा इतना छोटा नहीं है। 12 दिन हो गए हैं। लड़कियों के साथ सेक्सुअल एसॉल्ट भी हुआ है। घर पर नोटिस भेजकर, डांटकर हर तरीके से डराने धमकाने की बात की जा रही है। फिर भी पुलिस और यहां कि प्रशासन को बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही। ऐसे प्रशासन पर लानत है जोकि यहां पर विमेन हॉस्टल है दिल्ली यूनिवर्सिटी का, दिल्ली यूनिवर्सिटी जो अपनी 100 साल होने पर गुमान करती है, लेकिन अभी तक तथाकथित जो उनकी बेटियां सड़कों पर आई हैं जरा भी इस इशु पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वो भी एक ऐसा इशु जिसे हम मांग नहीं रहे हैं वो पहले से था, जिसे हम बस ये कह रहे हैं इंप्लीमेंट करो। हम कह रहे हैं कि यूजीसी की बात का इंप्लीमेंटेशन हो। क्योंकि यूजीसी ऑलरेडी ये कहता है कि ये जो काम कर रहे हैं ये इलीगल है। हमने एसआई रोहित जो कि दिल्ली पुलिस में हैं इनकी जब लड़कियों ने वहां जाकर शिकायत की तो मौरिस नगर के एसएचओ ने हमारा केवल ब्रेनवाश करने की कोशिश की ताकि वे लड़कियां शिकायत न करें। रेप विक्टिम्स की फोटो दिखाई कहा ये है हमारी सोसाइटी। थ्रेटन करने की कोशिश की ताकि हम लोग शिकायत न करें। लेकिन लेकिन लड़कियों ने पूरा दिन लगकर शिकायत किया तब जाकर एसआई रोहित के खिलाफ एफआईआऱ दर्ज हुई  और तब वे छात्रावास वापिस लौटीं।

पुलिस व प्रशासन का एक ही जैसा रवैया है ताकि वे हमें कुछ भी करके चले जाएं। हमारे चरित्र पर सवाल उठा कर चले जाएं। इस वक्त जितनी भी लड़कियां प्रोटेस्ट में शामिल हैं उनका पूरा करियर दांव पर लगा है। इन लोगों के हाथ में शक्ति है हमारा करियर खत्म करने का, लेकिन जब तक हमारे ऊपर कर्फ्यू टाइमिंग नहीं हटेगा। तब तक हम लड़कियां प्रदर्शन करेंगीऔर अपने हक के लिए लड़ती रहेंगी।

पल्लवी राज और मैं अमिशा हम दोनों अंडरग्रेजुएट हॉस्टल में एज ए विजिटर एंट्री कर रहे थे। क्योंकि हम अपने आंदोलन से संबंधित कैम्पेन चलाना चाहते थे। रूल्स के मुताबिक सबकी एंट्री होनी चाहिए, लेकिन हम दोनों को ही वहां जाने से रोका गया। गार्ड्स और पुलिस वहां पर खड़े थे जो वहां पर जाने से हमे रोक रहे थे और वहां पर हमसे हाथापाई भी की गई। और जब हम अंदर गए तो सभी अपने एकाउंटेबिलिटी से पीछे हटने लगे। बोलने लगे कि हमने नहीं रोका, हमने नहीं रोका, हमें नहीं पता। और जो अंडरग्रेजुएट हॉस्टल के एसओ कल्याण सिंह हैं उन्होंने एक तरीके से बुरी तरह से मेंटल हरासमेंट किया लड़कियों के साथ। और अगले दिन पल्लवी के लिए नोटिस निकलवा दिया कि वो यूनिवर्सिटी के लिए एम्बरेसमेंट है और उनको रिस्टिकेट कर दिया जाएगा। अगर इस मूवमेंट में वो ज्यादा दिन तक लगी रहीं तो उन्हे कॉलेज से निकाल दिया जाएगा।

हमें डिवाइड एंड रूल्स के तहत विभाजित भी किया जा रहा है। झूठ बोला गया कि हम लोग गुंडे हैं मॉब हैं। बताया गया कि हम लोग उनके हॉस्टल में घुसकर खतरा पहुंचाना चाह रहे थे। वे खुद यूजीसी को यूसीजी बोलते हैं उन्हें पता भी नहीं और वे क्या उसके गाइडलाइंस को समझेंगे। हमें मेरिट के आधार पर यहां पर लाया जाता है। जबकि हमारे साथ इतना गलत हो रहा है। यहां पर एक गार्ड हैं सुरेश कुमार जिन्होंने इस प्रोटेस्ट के दौरान लड़कियों को मैनहैंडल्ड किया है। मैं ये बता देना चाहती हूं कि अगर सबसे ज्यादा सप्रेसन की पॉलिसी अपनाई जा रही है वो अंडरग्रैजुएट के लिए है। अभी भी प्रोवोस्ट हमसे आकर नहीं मिली हैं जो कि 27 तारीख को जो उन्होंने एक मेमोरैंडम साइन किया था कि मोस्ट अरजेंट बेसिस पर हमारे मैटर को डील करेंगी। दो दिन पहले की बात है कि आंबेडकर गांगुली हॉस्टल की जो प्रोवोस्ट हैं अनु अग्रवाल जो कि आपरेशनल डिपार्टमेंट की प्रोफेसर हैं। उनको जब हमने 5-6 घंटे बिठाए रखा। जब उनसे उनका एकांउटेबिलिटी मांगी हमने क्योंकि उनके हाथ में है, लेकिन उन्होंने मैनेजिंग कमेटी और चेयरपर्सन को जिम्मेदार ठहराया। जब हमने उनसे बात करवाई और वो आने के लिए तैयार हैं तो प्रोवोस्ट खुद नहीं मिलने को तैयार हैं। 6 घंटे डिस्कशन के बाद जिसमें वो 4 बार छात्रों के बीच से जाने की कोशिश की उन्होंने अंत में रिजाइन कर दिया है। उन्होंने छात्रों पर मानहानि का आरोप लगाया।

बूढ़े हैं और बीमार हैं उसका बहाना उनकी एकाउंटेबिलिटी मांगने के समय जवाब में मिलता है जबकि हमारा फिटनेस सर्टिफिकेट के बगैर अंदर प्रवेश ही नहीं दिया जाता। फोर्स था फीयर तरीके से अगला प्रोटेस्ट ल़ॉंच हुआ। उस दिन की 3 बजे की बात है पहली बार हुआ ऐसा कि सारे प्रोवोस्ट को रात को 3 बजे आना पड़ा और साइन करना पड़ा चार्टर डिमांड में। सिग्नेचर कैंपेन में तमाम लोगों ने सपोर्ट किया फिर भी हमारी बातों को नहीं माना जा रहा। मेमोरैंडम साइन करवाने के लिए हमें सारे गेट के ताले तोड़ना पड़ा क्योंकि वो एक तरह का डिटेंशन है, जिसे प्रशासन बड़ा जुर्म मानता है। अगर गेट का ताला तोड़ना जुर्म है तो गेट में ताला लगाकर कैद रखना भी जुर्म है। क्योंकि संविधान और यूजीसी के दिशानिर्देश के मुताबिक ये गलत है। आम आदमी पार्टी के पूर्व एमएलए पंकज पुष्कर ने भी हमारे मामले को समर्थन दिया।
ये जो आंदोलन है ऐसा बन गया है कि प्रशासन बड़ा ढींठ है। वो हमारी सेफटी की बात करते हैं। लेकिन जब हम लोग वीसी रेजिडेंट के लिए रैली निकाले थे। वहां पर मौरिस नगर की एसआई रोहित और तमाम पुलिस वालों ने गंदी गालियां दीं। एक लड़की का कुर्ता फाड़ दिया। हमारा माइक छीन लिया। हमारा एसॉल्ट हुआ। गालियों से अंकंफर्टेबल फील कराया। उनके अगेंस्ट मैंने एफआईआर दर्ज करा दी है। इस समय पर हमारे वार्डन और प्रोवोस्ट ने भी हमारे ऊपर बहुत गंदा कमेंट किया। कहा कि तुम लोग आजादी मांग रहे हो, मैं आजादी इसलिए भी नहीं दे सकती क्योंकि मैं हिंदुस्तान से प्यार करती हूं। (नॉर्थ ईस्ट हॉस्टल की प्रोवोस्ट)। अंडरग्रेजुएट हॉस्टल की रेजिडेंट ट्यूटर जोकि ढका गांव में है। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी के होते हुए भी तुम लोग प्रोटेस्ट करने आए हो। तुम लोग गेट पर इसलिए बैठी हो ताकि तुम्हें लड़के देखने आएं। तो इस तरह के कमेंट काफी शर्मनाक है। कोई भी लड़की जो है यहां 2000 के आसपास इस प्रशासन से खुश नहीं है। अगर वो प्रोटेस्ट में नहीं आ पा रही खुलकर तो वो है करियर बर्बाद कर देने की धमकी और उसका डर।

मेल गार्ड्स तक ने फिजिकली हार्म करने की कोशिश की। हमारे प्रोटेस्ट को हटाने के लिए ये किसी हद तक जा सकते हैं। हमारे सपोर्ट में अस्मिता थियेटर सहित तमाम कला मंच के लोग भी आ चुके हैं। इन्हैरेंट मीसोजेनी है जो इनको हमारी बात मानने से इंकार कर रही है। प्रोवोस्ट के हाथ ही में है सब कुछ। अंडरग्रेजुएट हॉस्टल की टाइमिंग 3 दिन के अंदर प्रदर्शन के बाद 7.30 बजे से बढ़ाकर 10 बजे तक कर दिया है। ये इस आंदोलन की छोटी जीत है। लेकिन अंडरग्रेजुएट के साथी अभी अड़े हैं कि उनका कर्फ्यू टाइमिंग पूरा हटाया जाए। हमारी 20 डिमांड है उनमें गिनचुन के 3 ही बड़ी मांग है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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