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डीयू के कॉलेजों में सहायक पदों पर आरक्षण न दिए जाने की संसदीय समिति से की शिकायत

दिल्ली विश्वविद्यालय एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम ने दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध सेंट स्टीफेंस कॉलेज व माता सुंदरी  महिला कॉलेज ने विभिन्न विभागों में निकाली गई सहायक प्रोफ़ेसर के पदों पर एससी, एसटी, ओबीसी के अभ्यर्थियों को आरक्षण न दिए जाने की शिकायत अनुसूचित जाति, जनजाति कल्याणार्थ संसदीय समिति व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन से की है।

दिल्ली विश्वविद्यालय एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम के चेयरमैन व पूर्व विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने समिति में दायर शिकायत में बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में सहायक प्रोफ़ेसर के पदों के लिए स्थायी नियुक्तियों के विज्ञापन निकाले जा रहे हैं, लेकिन हाल ही में आए सेंट स्टीफेंस कॉलेज व माता सुंदरी महिला कॉलेज ने अपने यहां विभिन्न विभागों में जो पद निकाले हैं उनमें भारत सरकार की आरक्षण नीति का सरेआम उल्लंघन किया गया है।

प्रो. सुमन ने अपनी शिकायत में लिखा है कि आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों के साथ होने वाले अन्याय के संदर्भ में सरकार व संसदीय समिति के माध्यम से संज्ञान में लाना चाहते हैं। आपके संज्ञान में दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध सेंट स्टीफेंस कॉलेज व माता सुंदरी महिला कॉलेज में सहायक प्रोफ़ेसर का मुद्दा आपको बताना चाहते हैं। कॉलेज ने यहां विभिन्न विभागों में सहायक प्रोफ़ेसर के पदों के विज्ञापन निकाले हैं। विज्ञापन के अनुसार सहायक प्रोफ़ेसर के जो पद निकाले है उनमें किसी भी विभाग में एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों को आरक्षण नहीं दिया है। यह सरासर केंद्र सरकार की आरक्षण नीति का सरेआम उल्लंघन और असंवैधानिक है।

प्रो. सुमन के अनुसार माता सुंदरी महिला कॉलेज ने अपने यहाँ जिन विभागों में सहायक प्रोफ़ेसर के पदों के विज्ञापन निकाले है वे इस प्रकार हैं- कॉमर्स (05), इकनॉमिक्स (07), एजुकेशन (01), इले. एजुकेशन (13), इंग्लिश (10), हिंदी (09), हिस्ट्री (05), मैथमेटिक्स (07), म्यूजिक (01), फिलॉसफी (02), फिजिकल एजुकेशन (01), पॉलिटिकल साइंस (09), साइक्लोजी (02), पंजाबी (05), संस्कृत (04) पदों का विज्ञापन निकाला गया है। इन पदों में मात्र (03) पदों पर पीडब्ल्यूडी (दिव्यांग) को आरक्षण दिया गया है। जबकि एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के उम्मीदवारों को किसी भी विभाग में आरक्षण नहीं दिया गया। आरक्षण के हिसाब से यहां 42 पदों पर एससी, एसटी, ओबीसी के पदों का विज्ञापन जारी किया जाना चाहिए था, लेकिन कॉलेज ने एक भी पद आरक्षित वर्ग को नहीं दिया।कॉलेज ने सरेआम आरक्षण नीति का उल्लंघन किया है।

उन्होंने बताया है कि इसी तरह से सेंट स्टीफेंस कॉलेज ने अपने यहां जिन विभागों में पदों के विज्ञापन जारी किए हैं, उनमें कैमिस्ट्री (4), फिलॉसफी (3), मैथमेटिक्स (01), इकनॉमिक्स (01), फिजिक्स (01), इंग्लिश (01), हिंदी (01) पदों के विज्ञापन जारी किए हैं। इसमें केवल (01) पद फिलॉसफी पीडब्ल्यूडी (दिव्यांग) को दिया है। जबकि एससी, एसटी, ओबीसी अभियर्थियों की (06) सीटें आरक्षित बनती हैं। आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को किसी प्रकार का (एससी, एसटी, ओबीसी) आरक्षण नहीं दिया गया है। कॉलेज द्वारा जारी विज्ञापन के अनुसार विभिन्न विभागों में सहायक प्रोफ़ेसर के पदों पर आरक्षण न देने पर कॉलेज के खिलाफ तुरंत कार्यवाही कर भारत सरकार द्वारा प्रदत्त संवैधानिक अधिकार जिसमें आरक्षण का प्रावधान किया गया है उन्हें दिए जाने की मांग की है।

प्रो. सुमन ने समिति के चेयरमैन से मांग की है कि यदि उन्होंने विज्ञापन के संदर्भ में जल्द कार्यवाही नहीं की तो कॉलेज इन पदों को भर लेगा। इसलिए  दोनों कॉलेजों के प्राचार्यों को बुलाकर उनसे पूछा जाना चाहिए कि वे अपने यहां एससी, एसटी, ओबीसी अभ्यर्थियों को सहायक प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण क्यों नहीं देना चाहते। उन्होंने जल्द से जल्द इन पदों के संदर्भ में उचित कार्यवाही कर आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों को सामाजिक न्याय दिलाए जाने की मांग दोहराई है ताकि उन्हें उनका संवैधानिक अधिकार मिल सके।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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