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जेएनयू के बाद अब यूपी के कृषि विश्वविद्यालयों में फीस कम करने को लेकर हो रहा आंदोलन

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में फीस बढ़ोतरी को लेकर चल रहे छात्र आंदोलन पर चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के छात्र भी सोशल मीडिया पर समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने कृषि शिक्षा को सस्ती करने की मांग उठाई है। कृषि छात्र संगठन के अध्यक्ष सौरभ सौजन्य ने फेसबुक पर लिखा है कि सैकड़ों छात्र प्रतिवर्ष गरीबी रेखा से नीचे से भी कम आर्थिक आधार वाले एडमिशन ले रहे हैं। जबकि कृषि विश्वविद्यालयों में फीस 50 हजार रुपये सालाना से ज्यादा ही पड़ जाती है।

बता दें कि यूपी के कृषि के छात्रों ने कृषि शिक्षा सस्ती करनी की पुरानी मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया है इसकी शुरुआत कृषि छात्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष के महंगी फीस के विरोध संबंधित बयान से हुई। जिसके बाद कल देर रात 10 बजे के लगभग बीएससी एमएससी और पीएचडी के एक सैकड़ा से अधिक छात्रों ने कैंपस में एकत्रित होकर सीएसए सहित यूपी के अन्य कृषि विवि में अत्यधिक महंगी फीस को कम करने किये जाने तक आंदोलन करने की रणनीति बनाई। कृषि छात्र संघ अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश सौरभ सौजन्य ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कृषि विवि में फीस सबसे ज्यादा है स्नातक की एक वर्ष की कुल फीस 70 से 80 हज़ार रुपये है जबकि एमएससी की एक वर्ष की कुल फीस 1 लाख के लगभग है उसमें भी सीएसए में इसी सत्र से मेस फीस में 33 फीसद की बढ़ोतरी की गई है, जिससे प्रति छात्र यह आकंड़ा और अधिक होगा जबकि एक सामान्य किसान परिवार की सभी स्त्रोतों से आय 1 लाख भी नहीं होती है और कृषि विवि में पढ़ने वाले 70-80 फीसद छात्र किसान परिवारों से हैं इन परिस्थितियों में अब गरीब किसान के बेटों का विश्वविद्यालयों में पढ़ने का सपना महंगी फीस के आगे चकनाचूर हो जाता है हर वर्ष अनेकों छात्र प्रवेश परीक्षा में अच्छी रैंक लाने के बाद इतनी महंगी फीस न भर पाने के कारण प्रवेश नही ले पाते है अथवा कर्ज़ लेकर पढ़ते हैं जिसमें कुछ को पैसों के अभाव में डिग्री पूरी करने से पहले ही पढ़ाई छोड़नी पड़ती है यही स्थिति रही तो आगे आने वाले सत्रों में कृषि विवि में पढ़ना आईआईटी (IIT), आईआईएम (IIM) की तरह सिर्फ़ सपना बनकर रह जाएगा। इसलिए छात्रों ने सस्ती कृषि शिक्षा उपलब्ध कराने,रजिस्ट्रेशन के समय अंडरटेकिंग के जरिये बिना शुल्क प्रवेश दिलाने और बढ़ी हुई मेस फीस वापस लेने की मांग की। इस दौरान माहौल इंकलाबी हो गया छात्रों ने इंक़लाब जिन्दाबाद के नारे लगाकर अपने हक़ के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया। जल्द ही इस विषय पर आगे की रणनीति घोषित करने का भी ऐलान हुआ।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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