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क्या ज्ञानव्यापी मस्जिद में पूजा कर सकेंगे हिंदू, जानिए कोर्ट ने इस पर क्या फैसला सुनाया?

ऐसा कहा जाता है कि जब मुगलों ने भारत पर राज किया था तब कई मंदिरों को तोड़ कर मस्जिदों में परिवर्तित कर दिया था। ऐसे कई मंदिर-मस्जिद हैं जिनको लेकर अब तक विवाद बना हुआ है। मामला मस्जिद में श्रंगार गौरी की पूजा को लेकर है। इससे पहले बाबरी मस्जिद विवाद जो लगभग 134 साल तक 3 अदालतों में चलने के बाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। 9 नवंबर 2019 में रामलला के पक्ष में फैसला आया। और विवाद जैसे तैसे खत्म हुआ। जैसे ही ये विवाद खत्म हुआ तो “अब काशी और मथुरा की बारी है” जैसे बयान दिए जाने लगे। काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानव्यापी मस्जिद को लेकर विवाद शुरू हो गया। ये कहा जाने लगा कि ज्ञानव्यापी मस्जिद परिसर का हिस्सा काशी विश्वनाथ मंदिर का ही है। यहां तक कि मस्जिद में शिवलिंग होने का दावा भी किया जाने लगा। आज सिविल कोर्ट की ओर से ज्ञानव्यापी मस्जिद को लेकर फैसला सुना दिया गया।

क्या है मामला?

बाबरी मस्जिद के विवाद के बाद सभी को लगा था कि अब मंदिर मस्जिद विवाद खत्म हो जाएगा लेकिन एक मस्जिद के बाद दूसरी और दूसरी के बाद तीसरी मस्जिदों पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। दरअसल बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानव्यापी मस्जिद को लेकर बहस जारी है। 18 अगस्त 2021 को पांच हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद हिंदू देवी-देवताओं की पूजा की अनुमति मांगी है। इन महिलाओं ने खासतौर पर श्रृंगार गौरी की हर दिन पूजा करने की इजाजत मांगी है। हांलांकि साल में एक बार यहां पूजा के लिए खोला जाता है। 26 अप्रैल को सिविल कोर्ट ने मस्जिद में सर्वे के भी आदेश दिए गए। बकायदा पूरी वीडियोग्राफी हुई जिसमें मस्जिद के तहखाने में शिवलिंग होने का दावा किया गया। इसके बाद काफी विवाद की स्थिति पैदा हो गई थी। इसके बाद मस्जिद के उस हिस्से को बंद कर दिया गया था।

सिविल कोर्ट का फैसला

सिविल कोर्ट की तरफ से अगस्त में फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। 12 सितंबर यानी आज कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुना दिया है। इस मामले पर आगे सुनवाई होगी या नहीं पर बात अटकी हुई थी। जिन पांच महिलाओं ने पूजा करने की मांग की, उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया गया।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद परिसर कभी एक हिंदू मंदिर था और इसके बाद मुगल शासक औरंगजेब द्वारा इसे ध्वस्त कर दिया गया था, वहां वर्तमान मस्जिद संरचना का निर्माण किया गया था। दूसरी ओर अंजुमन मस्जिद समिति ने अपनी आपत्ति और आदेश 7 नियम 11 आवेदन में तर्क दिया कि वाद विशेष रूप से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 द्वारा प्रतिबंधित है।

क्या है पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991

पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधनियम का हवाला देकर मस्जिद समिति ने इस याचिका को खारीज करने की मांग की थी। पूजा स्थल अधिनियम 1991 कहता है कि जो 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में आए हुए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को एक आस्था से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने और किसी स्मारक के धार्मिक आधार पर रखरखाव पर रोक लगाता है। यह केंद्रीय कानून 18 सितंबर, 1991 को पारित किया गया था। लेकिन सिविल कोर्ट की ओर से मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दिया गया।

दूसरी मस्जिदों के साथ विवाद

अयोध्या विवाद, वाराणसी की ज्ञानव्यापी मस्जिद विवाद और मथुरा की ईदगाह मस्जिद विवाद। मथुरा की ईदगाह मस्जिद का विवाद ये है कि वो कृष्ण जन्मभूमि पर है और उसे जमीन को हिंदू पक्ष को सौपने का मामला है। इसके लिए भी कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इतना ही नहीं ताजमहल को भी मंदिर बताया गय़ा है।

इस पूरे मामले में आपकी क्या राय है कॉमेंट करके जरूर बताएं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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