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क्या छात्र के भूख हड़ताल करने पर दर्ज किया गया मुकदमा?

लॉकडाउन की मार झेल रहे गरीब मजदूरों-छात्रों के लिए अपने घर पर रहकर एक दिन की भूख हड़ताल करने पर दर्ज किया मुकदमा

परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) के लालकुआं इकाई सचिव महेश पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। महेश एमबीपीजी हल्द्वानी कॉलेज, कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल (उत्तराखंड) के छात्र हैं।  एक अखबार के हवाले पता चला कि यह मुकदमा पुलिस ने सोशल मीडिया पर उकसाने के आरोप में दर्ज किया है। पुलिस ने यह मुकदमा धारा 188, 269, 270 और आपदा प्रबंधन एक्ट 51 के तहत दर्ज किया है। संगठन ने इस पर प्रेस रिलीज जारी करते हुए बताया है कि पुलिस द्वारा फर्जी मुकदमा दर्ज करने और छात्र को गलत तरह फंसाने की साजिश बताया है।

प्रेस रिलीज के अनुसार, 23 अप्रैल 2020 को देश में विभिन्न जगहों पर फंसे हुए मजदूरों और छात्रों की संक्रमण की जांच कर उन्हें घर तक पहुंचाने की व्यवस्था करने और देश के सभी गरीब मजदूरों-मेहनतकशों और छात्रों के लिए राशन और आर्थिक मदद की तत्काल व्यवस्था करने की मांगों को लेकर पछास की ओर एक दिन की भूख हड़ताल की गई थी। यह भूख हड़ताल घर पर रहकर ही की गई थी। विभिन्न जगहों से इन मांगों के समर्थन में कई लोगों ने सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक की भूख हड़ताल की। और यह भूख हड़ताल लोगों ने अपने-अपने घरों में रहकर ही की। अब अपने-अपने घरों में अलग-अलग जगहों/शहरों में लोगों द्वारा की गयी इस भूख हड़ताल से कौन सा गैरकानूनी कृत्य या लॉकडाउन का उल्लंघन हो गया जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर दिया। यह आश्चर्य की बात है कि पुलिस को यह काम उकसाने का काम लगता है।

क्या छात्रों और मजदूरों की संक्रमण की जांच कर उनके घरों तक पहुंचाने की मांग करना भड़काना है? जिस पर पुलिस मुकदमा दर्ज कर रही है? क्या यह देश के गरीबों, मजदूरों और विभिन्न स्थानों पर फंसे छात्रों के लिए राशन की व्यवस्था करने की मांग करना गैरकानूनी है, जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर दिया?

क्या लॉकडाउन में फंसे मजदूरों व छात्रों के प्रति संवेदना प्रकट करना, उनके कष्टों की बात करना, उनकी बेहतरी की चिंता करना अपराध है?

जाहिर सी बात है कि पुलिस का यह कृत्य, पुलिस द्वारा यह मुकदमा दर्ज करना लॉकडाउन में फंसे मजदूरों-छात्रों की मदद करने की आवाजों को दबाना है। यह कृत्य लॉकडाउन में फंसे मजदूरों-छात्रों के दर्द और पीड़ा की आवाजों को दबाना है।

इससे पहले भी उधम सिंह नगर की पुलिस भी लॉकडाउन का उल्लंघन के आरोप में इंकलाबी मजदूर केन्द्र के अध्यक्ष का उत्पीड़न कर चुकी है। जब एक पोस्ट का बहाना बनाकर उन पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी गयी। पंतनगर के ठेका मजदूर कल्याण समिति के सचिव अभिलाख सिंह पर पुलिस ने राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है। लॉकडाउन के दौरान पुलिस द्वारा मजदूरों को मुर्गा बनाये जाने का विरोध करने पर इन दोनों साथियों का पुलिस उत्पीड़न किया गया और दोनों का मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया।

गौरतलब है परिवर्तनकामी छात्र संगठन लगातार लॉकडाउन के बाद से गरीब मजदूरों के बीच राशन वितरण का काम कर रहा है। इस दौरान हमने तमाम गरीब मजदूरों और छात्रों की दुर्दशा देखी जो लॉकडाउन के कारण हो रही है। इस कारण ही यह महसूस हुआ कि देश का गरीब मजदूर और छात्र बेहद परेशानी में है। सरकार का ध्यान इन मजदूरों और छात्रों पर भी पड़े, इस कारण यह भूख हड़ताल रखी गयी थी।

परिवर्तनकामी छात्र संगठन ने इस कार्रवाई को पुलिस की दमनात्मक कार्यवाही के रूप में बताते हुए इसका विरोध किया है। संगठन ने उत्तराखण्ड सरकार से मांग की है कि लालकुआं इकाई सचिव महेश पर दर्ज फर्जी मुकदमा को वापस लिया जाये। लॉकडॉउन का बहाना बनाकर जनता की आवाज दबाना बंद किया जाए। पुलिस उत्पीड़न की कार्यवाहियों को तत्काल बंद किया जाये।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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