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उन्नाव मामले में दोषी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को लेकर 20 दिसंबर को आ सकता है फैसला

तस्वीरः गूगल साभार

‘एक शक्तिशाली व्यक्तित्व के खिलाफ पीड़िता का बयान सच्चा और पर्याप्त है’– यह टिप्पणी करते हुए तीस हजारी कोर्ट ने सोमवार को उन्नाव रेप मामले में भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराया। हालांकि इस मामले में अदालत ने सेंगर की सहयोगी आरोपी शशि सिंह को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है। आपको पता होगा कि उन्नाव रेप मामले में पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर के ख़िलाफ़ दिल्ली की एक सत्र अदालत ने आरोप तय कर दिए हैं। बता दें कि 4 जून 2017 को पीड़िता ने बताया कि वह विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के यहां नौकरी दिलाने में मदद मांगने के लिए उनसे मिलने गई और विधायक के घर पर उसका रेप किया गया।

इस मामले में 20 दिसंबर को दोषी विधायक की सजा को लेकर बहस होगी। इसके बाद कोर्ट इस मामले में अपना अंतिम फैसला सुना सकती है। इससे पहले सुनवाई में सीबीआई ने दोषी विधायक के लिए अधिकतम सजा की मांग की। साथ ही, पीड़ित के लिए उचित मुआवजा भी मांगा।

सीबीआई की दलीलों पर सेंगर के वकीलों ने अदालत से उसे न्यूनतम सजा देने की प्रार्थना की। वकीलों ने कहा- उसकी दो नाबालिग बेटियां हैं और पहले कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं रहा है। हिरासत में भी उसका आचरण अच्छा रहा है। इसलिए सजा सुनाते समय इन बातों पर भी विचार किया जाए। सेंगर के वकीलों ने यह भी कहा कि वह दशकों से सार्वजनिक जीवन में है और समाज की सेवा करता रहा है। उसने जन कल्याण के कई काम भी किए हैं।

पुलिस ने सेंगर के ख़िलाफ़ पॉक्सो एक्ट और आईपीसी की धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं।

अदालत ने सेंगर पर बलात्कार [376 (1)] और आपराधिक साज़िश [(120 B)] समेत आईपीसी की कई धाराओं में मामले दर्ज किए हैं। साथ ही पॉक्सो एक्ट के सेक्शन तीन और चार के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को इस संबंध में सभी मामले उत्तर प्रदेश से दिल्ली की सीबीआई अदालत को ट्रांसफ़र करने का आदेश दिया था।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि इस मामले के लिए तय किए गए एक जज दिल्ली में रोज़ाना सुनवाई शुरू करेंगे और इसे 45 दिनों के भीतर पूरी करेंगे।

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मामले में उन्नाव के बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली पीड़िता बीती 28 जुलाई को रायबरेली में एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं। इस हादसे में उनके दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी और उनके वकील भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पीड़िता के परिजनों ने इस हादसे को एक साज़िश बताते हुए कुलदीप सेंगर पर आरोप लगाया था।

5 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट पीड़िता को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली लाने का आदेश दिया था। अभी पीड़िता अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती हैं जहां उनका इलाज चल रहा है।

साथ ही पीड़िता के पिता की पहले ही पुलिस हिरासत में मौत हो चुकी है।

 

लड़की के पिता का उनकी मृत्यु से पहले का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था विधायक के भाई और कुछ अन्य लोगों ने पुलिस की मौजूदगी में उन्हें मारा-पीटा था।

 

पुलिस की इसी कथित निष्क्रियता और विधायक की कथित दबंगई से त्रस्त होकर पीड़ित लड़की ने सीएम आवास के बाहर मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह करने का प्रयास किया। इसी घटना के बाद ये मामला सुर्खियों में आ गया।

इस मामले पर बात करना इसलिए जरूरी हो जाता है क्योंकि कुलदीप जैसे लोग पुलिस और सत्ता की आड़ में कुछ भी कर देते हैं जिसकी भनक सरकार और पुलिस तक पहुंच भी जाए तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उसे लगता है कि हम सब कुछ कर सकते हैं। शायद यही वजह है कि फिल्मी स्टाइल में पहले रेप होता है। पीड़ित लड़की को गायब कर दिया जाता है। सबूत मिटाने की कोशिश होती है। पीड़िता के पक्ष में न्याय की मांग करने वालों पर जानलेवा हमला ही नहीं होता उसे खत्म करने में कामयाबी भी मिल जाती है। अंत में किसी तरीके से आरोप तय होते हैं औऱ फिर अभी यह सवाल बाकी ही रह जाता है कि इस मामले में कुलदीप सेंगर को कितनी सजा मिलेगी। फिलहाल अभी कोर्ट में सुनवाई जारी है।

16 दिसंबर 2012 का दिन सभी को याद ही होगा जब निर्भया रेप कांड पर पूरे देश में सजा देने को लेकर प्रदर्शन हुए। इस घिनौने और जिस शब्द का इस्तेमाल किया जाए कम है ऐसे काम में शामिल सभी आरोपियों को तुरंत फांसी दी जाने की मांग उठने लगी। तुरंत सजा देने की मांग होने लगी। इसके बाद भी 2012 से 2019, इतने लंबे समय के बाद भी अभी फांसी की सजा भी नहीं दे पाई। इससे हमारी न्याय प्रणाली पर उठते तमाम सवालों को देखा जाना चाहिए। 2012 के बाद फिर से निर्भया की तरह ही रेप पर तुरंत फांसी देने की  मांग इसी नवंबर में तब उठी जब उसी तरह दिल दहलाने वाला हैदराबाद रेप और जिंदा जला देने की बात सामने आई। इसमें पुलिस ने सजा दिलाने के दबाव में आकर चारों आरोपियों को एनकाउंटर में मार गिराया। इस तरह फैसला ऑन द स्पॉट दिए जाने के पुलिस के तरीके पर तमाम सवाल उठने लगे हैं जिन पर अभी जांच चल रही है। जांच के बाद ही कुछ ठीक से कहा जा सकता है। हालांकि इसी मामले के बाद ही कुलदीप सिंह सेंगर, चिंमयानंद मामले पर भी सजा देने की मांग उठने लगी।

यूं तो आपको जानकर हैरानी ही होगी कि हर 54 मिनट्स में देश में एक महिला के साथ बलात्कार होता है। प्रतिदिन 42 महिलाएं बलात्कार का शिकार होती ही है। इन सबके बावजूद हम तब तक इस मामले पर कुछ नहीं बोलते जब तक सोशल मीडिया में प्रमाण बार बार लोगों को प्रदर्शन करने के लिए उकसाता है। जब तक किसी हाई प्रोफाइल केस का सामना नहीं होता। जब तक कोई आरोपी गलती नहीं कर देता औऱ पीड़िता उसे पब्लिक नहीं कर देती। जब तक आरोपी किसी की हत्या नहीं कर देता। आखिर क्यों इस समाज में हम किसी मामले पर कभी कभार ही प्रतिक्रिया देते है औऱ वो भी उग्र और फिर चुप हो जाते हैं? ऐसे तमाम सवाल हमारे जेहन में उठते हैं। जिन पर डिबेट की बजाय संसद में भी राजनीति शुरू हो जाती है। अब फैसला आप पर है कि आप इस रेपिस्ट समाज को कैसे सही रास्ते पर लाएंगे? और साथ ही सरकार और पुलिस पर हमेशा के लिए एक सख्त कानून बनाने को लेकर दबाव डाल पाएंगे? और किसी भी रेपिस्ट को उसके कारनामें के लिए सजा दिला पाएंगे। वो चाहे कोई भी हो?

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

संध्या सिंह
दिल्ली विश्वविद्यालय में पत्रकारिता की छात्रा

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