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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2020 विशेष: योग आत्मिक ऊर्जा को जाग्रत करता है

Photo: Getty Images/Thinkstock

आज भारत समेत दुनिया के सभी देश अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में योगा दिवस को लेकर पहल किया। इसके बाद 21 जून 2015 को पहली बार योगा दिवस मनाया गया और इस दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। 

इस साल कोरोना वायरस के चलते लोगों को घर पर रहकर ही सोशल डिस्टेंसिंग के साथ योग करना होगा। इस साल की थीम “Yoga For Health – Yoga From Home” रखी गई है। इस साल कोरोनावायरस महामारी यानी कोविड 19 के चलते लोगों को ऐसी थीम दी गई है, जो सेहत और स्वस्थ्य को बढ़ावा देगी। मालूम हो कि साल 2019 में इसकी थीम ‘पर्यावरण के लिए योग’ थी। 

आइये योग के बारे में इन महत्वपूर्ण बातों को भी जानें-


योग जीवन साधना का ही दूसरा नाम है और मनुष्य इस विषम परिवेश से घिरे अपने जीवन संसार को अपनी जिस आत्मिक ऊर्जा से निरंतर सँवारने में संलग्न रहता है उसे योग कहा जाता है। महर्षि पतंजलि ने हजारों साल पहले योगशास्त्र की रचना करके जीवन को सुंदर बनाने के बारे में हमें बताया था और कहा था कि योग: चित्तवृत्ति निरोध: अर्थात् अपने मन को विकारों से और कर्म को पापों से रहित करना ही योग है। सचमुच जीवन में विविध प्रकार के अपकर्म यानी अमानवीय – असामाजिक – अप्राकृतिक कार्यों से अपना बचाव ही योग है। इस संसार में मनुष्य का चंचल मन विषय वासनाओं से निरंतर अभिभूत होता रहता है और सांसारिक  माया  मोह से उपजे विचलन मनुष्य को जीवन पथ पर निरंतर अंधकार की ओर अग्रसर करते रहते हैं। योग की साधना से मनुष्य आत्मिक ऊर्जा से अपने जीवन पथ पर सांसारिक कर्मों में प्रवृत्त होता है और निर्वाण प्राप्त करता है। योग की साधना प्रकृति की सान्निध्यता में होती है और वर्तमान समय में प्रकृति के साथ जीना भी योग की साधना का ही दूसरा नाम है। योग ध्यान प्रणायाम और आसन से सुंदर भाव विचारों से हमें युक्त करता है और शांति की शीतल किरणों से मन प्राण को आह्लादित करता है। योग आहार विहार में सामंजस्य की शिक्षा हमें देता है।

योग मनुष्य को निरोग करता है और धर्म – अर्थ – काम – मोक्ष के चार जीवन लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर अग्रसर करता है। इसकी साधना से शरीर में प्राणशक्ति का संचार होता है और आत्मा के आलोक से शरीर सुवासित हो उठता है। योग हमारी इंद्रियों को संयम का संदेश देता है और मन को भोग की भावना से विरत करता है। यह ईश्वर की प्रेरणा से सबको जीवन और जगत के कल्याण की चेतना प्रदान करता है। योग सबके लिए जरूरी है। यह शारीरिक विकार को दूर करके व्यक्ति को मानसिक तनाव से रहित करता है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

राजीव कुमार झा
शिक्षक व लेखक

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