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हाथरस गैंगरेप को एक साल, क्या है माहौल और क्या कहते हैं परिवार वाले

हाथरस का नाम सुनते ही सबसे पहले हाथरस में हुई 19 वर्षीय युवती के साथ दरिंदगी का ध्यान आता है। यूपी चुनाव को लेकर 9 नवंबर को फोरम4 की चुनावी यात्रा के लिए हाथरस निकलना था। दिल्ली से हाथरस रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद शाम तक हाथरस शहर पहुंच पाए। सबसे पहले हम उस गांव की ओर जाने के लिए रवाना हुए जहां करीब साल भर पहले वो दरिंदगी की घटना हुई, जिसकी वजह से पूरा देश आक्रोशित था और आज भी उस पर राजनीतिक बयानबाजियां जारी हैं। आगरा से अलीगढ़ जाने वाले हाइवे पर 25 किलोमीटर चलने पर हाथरस जिले की कोतवाली चंदपा पड़ती है। इसी सड़क से करीब 2 किलोमीटर चलने पर बूलगढ़ी गांव पड़ता है। इसी गांव में 14 सितंबर को एक वाल्मीकि (दलित) परिवार की 19 वर्षीय युवती के साथ जो घिनौना कृत्य हुआ और उस पर यूपी की सरकार पहले पर्दा डालने का आरोप लगा। बाद में यूपी सरकार ने सीबीआई को जांच सौंपने की सिफारिश कर दी। इस कृत्य के बाद हाथरस की चर्चा नकारात्मक रूप में देश विदेश में भी होने लगी।

यह था मामला

हाथरस का यह वही मामला है जिसमें पिछले साल 14 सितंबर को कथित तौर पर 19 साल की एक युवती का गैंगरेप हुआ था। उसको गंभीर चोटें आई थीं। उसकी जीभ काट लिए जाने की ख़बर आई थी। इस घटना के 11 दिन बाद दिल्ली के एक अस्पताल में युवती की मौत हो गई। पुलिस ने परिवार वालों की ग़ैर मौजूदगी में रातोंरात उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। घर वाले तड़पते रहे कि उन्हें कम से कम चेहरा दिखा दिए जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था। इसके बाद देश भर में उत्तर प्रदेश पुलिस की किरकिरी हुई और लोगों का आक्रोश बढ़ता गया। पत्रकार और राजनेता गांव की ओर मामले को लेकर पहुंचने लगे। इस पर राज्य की योगी सरकार ने बैरिकेडिंग करवा कर घटनास्थल पर जाने से रोक दिया। इसके बाद मीडिया में खबरों के लगातार बाढ़ आ जाने से और पूरे देश में प्रदर्शन होने से योगी सरकार को रास्ता खोलना पड़ा।

गैंगरेप और हत्या का आरोप उसी गांव के चार युवकों लवकुश, संदीप, रामू और रवि पर लगा। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, 22 सितम्बर को पीड़ित परिवार ने पुलिस को फोन करके बताया कि वो चाहते हैं कि पीड़िता का बयान दर्ज हो। पुलिस की टीम जब बयान लेने पहुंची तो पीड़िता ने बताया कि उसके साथ 4 लड़कों जिनमे संदीप, लवकुश, रवि और रामू ने गैंगरेप किया है और संदीप गला दबाकर भाग गया। जब पुलिस ने पीड़िता से पूछा कि ये बात आपने पहले क्यों नही बताई तो पीड़िता ने कहा कि उस वक़्त पूरे होश में नहीं थी। इसके बाद पुलिस ने तुरंत गैंगरेप की धारा जोड़कर 26 सितंबर से पहले ही सभी आरोपियो को गिरफ्तार कर लिया।

अभी क्या है माहौल?

गांव में अंदर घुसने पर 1-2 घर छोड़कर एक घर के सामने सीआरपीएफ के जवान दिखते हैं। जो लगातार पहरा देते हैं। पहले घर के सामने बैठी महिलाओं से पूछने पर कि वह कौन सा घर है जहां हाथरस का कांड हुआ था, सीधे उस ओर इशारा कर देती हैं जिधर जवान तैनात हैं। ज्यादा कुछ बोलने की जरूरत नहीं होती, उन्हें सब समझ आ जाता है कि हम लोग पत्रकार हैं इसलिए उन्होंने कुछ पूछा भी नहीं।

हमने जवानों से जाकर परिवार से बातचीत करने की इच्छा जताई कि आखिर अभी इस परिवार की क्या हालत है? तो इस पर एक जवान ने अंदर परिवार वालों से बात की कि कुछ लोग आपसे मिलने आए हैं जो पत्रकार हैं और एक साल पहले की घटना पर अभी तक क्या कुछ हुआ जानना चाहते हैं। इसके बाद हमसे रजिस्टर पर एंट्री कराई गई और फिर परिवार वालों से मिलने दिया गया। घर पर ही छावनी बना दी गई है। और सीसीटीवी कैमरे से उनकी निगरानी होती है।

परिवार के लोग क्या कह रहे हैं?

फोरम4 से बातचीत करते हुए पीड़िता के बड़े भाई ने कहा, “केस चल रहा है, गवाही हो चुकी हैं अब आगे पता चलेगा कि क्या होगा। जांच की दिशा के बारे में उन्होंने कहा कि जो हम पर गुजरी है हमें तो पता है अब आगे न्यायालय के ऊपर है कि वो क्या करेगी।

जांच सीबीआई कर रही है, चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।

घर पर सीआरपीएफ के पहरे को लेकर उन्होंने कहा कि जान है तो जहान है। जब से ये लोग हैं तब से सुरक्षा महसूस होती है। इसकी वजह से हमलोग लेकिन बंधे से हैं। कहीं आना जाना नहीं है। हम कोई काम भी नहीं कर सकते। हमारे बच्चे हैं। डर लगा रहता है। जल्दी से यह मसला हल हो तो हम भी फ्री महसूस करें। हमें भी अपना काम धंधा देखना है।

हम अभी तक अस्थि विसर्जन भी नहीं किए हैं। जब तक न्याय नहीं मिल जाता तब तक हम विसर्जित नहीं करेंगे। अभी भी हमारी यही प्रतिज्ञा है।

अभी तो सुरक्षा की वजह से धमकी नहीं मिली है लेकिन डर है। आगे का पता नहीं कि क्या होगा? जब तक सुरक्षा है तब तक सुरक्षित समझ रहे हैं आगे का हमें भी नहीं पता।

घटना के बारे में वो कहते हैं कि 14 तारीख को हम तीन लोग बहन और मैं, मम्मी घास लेने खेत में गए थे। मैं घर पर जानवरों को चारा डालने आ गया था। मम्मी घास काट रही थी। वहीं पर बहन के साथ चारों आरोपियों ने दरिंदगी की। इसके बाद मुझे एक लड़का बुलाने आया, बताया गया कि बहन इस…. हालत में खेत में पड़ी है। इसके बाद मैं गया। थाने गए। अस्पताल अलीगढ़ लेकर गए। इलाज सही से नहीं हो पाया। रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई थी। हालत काफी नाजुक थी। जीभ कट गई थी। ढंग से बोल नहीं पा रही थी। 29 तारीख में आकर वो सफदरजंग में खत्म हो गई। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने रात के ढाई बजे यहां लाकर जला दिया। इतना कहकर सब लोग चुप हो गए।

मुआवजा के बारे में पूछने पर भाई ने बताया कि मुआवजा तो 25 लाख मिल गया है वो भी एसएसटी का हमारा जो होता है सब लगाकर।

सरकार ने नौकरी और मकान देने की भी बात कही थी लेकिन इस बारे में अभी तक कुछ नहीं हुआ। उस समय तो बोल दिया था मुझे तो सब वादे झूठ ही लग रहे हैं। केवल माहौल शांत करने के लिए ऐसे वादे किए गए।

कुल मिलाकर 3 बहन और 2 भाई थे। हम इंटर तक पढ़े हैं बहन ने तो 3-4 कक्षा की पढ़ाई करके छोड़ दिया था।

हम चाहते हैं कि किसी और के साथ ऐसी घटना न हो।

जातिवाद पर परिवार वालों ने कहा कि यहां पर उच्च जाति के लोगों की संख्या ज्यादा है तो इस वजह से हमें काफी झेलना पड़ा। हम वाल्मीकि परिवार के 4 घर हैं बाकि सब ठाकुर और ब्राह्मण ही हैं।  

विधानसभा चुनाव की वजह से फिर से चर्चा में

उत्तर प्रदेश में हाथरस कांड भी चुनावी मुद्दा बन गया है। विपक्ष, प्रदेश की बीजेपी सरकार को लगातार इस तरह की घटनाओं पर घेरने की कोशिश कर रहा है। इसका मुख्य कारण यह भी है कि योगी सरकार प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है। हालांकि हर कोई महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न की बात करते करते हाथरस कांड पर पहुंच ही जाता है।

लखीमपुर कांड में मारे गए किसानों की याद में ‘लखीमपुर किसान स्मृति दिवस’ मनाने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) पूरे प्रदेश में हाथरस कांड की पीड़िता की याद में ‘हाथरस की बेटी स्मृति दिवस’ मना रही है। पिछले दिनों सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत पार्टी के सभी नेता ने कैंडिल जलाकर पीड़िता को श्रद्धांजलि दी।

हाथरस की असली पहचान है

अगर हाथरस की बात सकारात्मक रूप में करने की कोशिश करें तो हाथरस जिले की पहचान के तौर पर यहां की हींग और गुलाल आएंगे। हाथरस में हींग और गुलाल का अधिक व्यापार होता है। हाथरस साहित्य की ओर भी जुड़ा हुआ है। व्यंग्यकार और हिंदी के प्रसिंद्ध कवि काका हाथरसी को कौन नहीं जानता है उनका जन्म हाथरस में ही हुआ था, जिन्होंने अपनी कविता के माध्यम से सरकार में भ्रष्टाचार और समाज में हो रहे अपराध को बढ़चढ़ कर इंगित किया है। हाथरस को हींग की मंडी कहा जाता है। यहां हींग की 60 फैक्ट्रियां हैं जिनसे लगभग 70 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार होता है। आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक हींग के कारोबार ने हाथरस के करीब पंद्रह हजार लोगों को रोजगार दिया है। यहां से तैयार हींग कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन आदि देशों में मुख्य रूप से निर्यात होती है। इसी तरह यहां बनने वाले रंग गुलाल की देश के अलावा विदेशों में भी बड़ी मांग रहती है। होली के प्रसिद्ध यूपी के ब्रज इलाके में हाथरस के बने गुलाल से ही रंग खेला जाता है। यहां गुलाल बनाने की 20 फैक्ट्र‍ियां हैं। हाथरस में गुलाल का कारोबार 30 करोड़ रुपये सालाना का है। इस कारोबार में पांच हजार लोग जुड़े हुए हैं।

हमने कुछ लोगों से इस विषय में बातचीत की तो उन्होंने बताया जब से हाथरस में गैंगरेप हुआ तो लोग हाथरस को इसी रूप में याद करते हैं। इससे हाथरस की छवि धूमिल हुई है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

प्रभात
लेखक फोरम4 के संपादक हैं।

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