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हरियाणा के कृषि मंत्री ने मांगी मांफी, किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों पर दिया था विवादित बयान

किसान 80 दिनों से देश में आंदोलन कर रहे हैं। इन 80 दिनों के अंदर आंदोलन में बहुत कुछ हुआ है। किसान आंदोलन में 200 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई। अभी तक कई किसानों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। कुछ किसान ऐसे हैं जो लापता है उनके बारे में न तो पुलिस के पास कोई जानकारी है और न ही लोगों के पास। आपको बता दें कि जिन 200 किसानों की मौत हुई है उनमें से किसी को हार्टअटैक के कारण मौत हुई और कुछ ने दिल्ली की सीमाओं पर ही आत्महत्या कर ली थी और उस आत्महत्या का जिम्मेदार सरकार को बताया। ये हम आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक पत्रकार उनसे पूछ रहा है कि 200 किसान मर गये हैं इस पर आपका क्या कहना है तो जेपी दलाल कहते हैं कि ये अगर घर में होते तो भी मरते, यहां नहीं मर रहे क्या? उन्होंने आगे कहा कि लाख दो लाख में से 200 छह महीने में नहीं मरते हैं क्या? कोई हार्टअटैक से मर गया, कोई बुखार होकर मरा है। मुझे ये बता दो कि हिंदुस्तान की एवरेज उम्र कितनी है? और साल के कितने मरते हैं उसी अनुपात में मरे हैं। ये वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो जाने के बाद जे पी दलाल ने माफी भी मांगी। लेकिन सवाल वही है क्या नेताओं की संवेदनाएं मर चुकी हैं? क्या उन्हें किसानों की बिल्कुल भी परवाह नहीं है?

जब पत्रकार ने जेपी दलाल से प्रश्न किया कि 10 लोग एक्सीडेंट में मरते हैं प्रधानमंत्री उस पर अफसोस प्रकट करते हैं। ये किसान मर जाएं तो कोई बात नहीं। इस पर जेपी दलाल कहते हैं कि ये एक्सीडेंट में नहीं मरे बल्कि स्वेच्छा से मरे हैं। पत्रकार कहता है कि वैसे कहते हैं कि हम किसानों के साथ हैं संवेदनाएं तो प्रकट कर सकते हैं तो उन्होंने कहा कि देश के पूरे 135 करोड़ लोगों के प्रति उनकी संवेदनाएं हैं। साथ ही मारे गए लोगों के प्रति हार्दिक संवेदना होने की बात भी कह दी। ऐसे गंभीर सवालों के दौरान जेपी दलाल मुस्कराते रहे और उनके साथ बैठे लोग ठहाका लगाते रहे। उन्होंने कहा कि आम किसान भोला-भाला है, कुछ वहां बहकावे में गए, कुछ जबरदस्ती ले जाए गए और कुछ अन्य वजहें भी थीं। लेकिन ये आंदोलनकारी कुछ दिनों में शांत हो जाएंगे।

इनके बयान सुनकर आप सोच सकते हैं कि बीजेपी सरकार या उनके मंत्री किसी भी आंदोलन को कितनी गंभीरता से लेती है। जनता से सिर्फ वोट मांगे जाते हैं उसके बाद अगर लोग भूख से भी मर जाएं तो इन नेता लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा ये वीडियो इसी बात का उदाहरण है और ये कोई पहली बार नहीं है बीजेपी के लोग असंवेदनशील बयान कई बार दे चुके हैं इससे साफ पता चलता है कि किसानों को सड़कों पर बैठे 84 दिन हो गये हैं लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। बल्कि सरकार किसानों का मजाक उड़ा रही हैं। किसान आंदोलन को एक विपक्षी पार्टी का एजेंडा बताया जा रहा है। जिन लोगों ने वोट देकर उन्हें कुर्सी पर बैठाया है मंत्री और नेता बन जाने के बाद वहीं जनता का मजाक बना देते हैं। इस वीडियो के वायरल हो जाने के बाद सोशल मीडिया पर इसकी खूब आलोचना हो रही है।

योगेंद्र यादव ने कृषि मंत्री को बर्खास्त करने का मांग की। उन्होंने कहा कि इसे कहते हैं जले पर नमक छिड़कना। आंदोलन में शहीद हुए किसानों के प्रति हरियाणा के कृषि मंत्री की जुबान सुनिए, उनके हाव-भाव देखिए उनकी हंसी पहचानें। या तो वे अपने बयान पर माफी मांगे, नहीं तो उन्हे कृषि मंत्री पद से बर्खास्त किया जाय।

कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने जेपी दलाल का वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि आंदोलन में संघर्षरत अन्नदाताओं के लिए इन शब्दों का प्रयोग एक संवेदनहीन और संस्कारहीन व्यक्ति ही कर सकता है। शर्म, मगर इनको आती नहीं। पहले किसानों को पाकिस्तान व चीन समर्थक बताने वाले हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल को कैबिनेट से बर्खास्त किया जाना चाहिए।

कांग्रेस पार्टी के दीपेंदर एस हुडा ने भी ट्वीट किया, उन्होंने लिखा कि हे राम! ये हैं हरियाणा के कृषि मंत्री जे पी दलाल। दलाल साहब वो जो चले गए वो किसान भी किसी के लाल थे।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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