इरादे नेक और बुलंद हों तो सफलता आपके कदम चूमती है। कुछ इसी तरह की बात 2019 लोकसभा में प्रमिला बिसोई के रूप में सच साबित हुई। ओडिसा की प्रमिला बिसोई का आंगनवाड़ी से संसद तक का सफर कुछ इसी तरह की कहानी बयां कर रहा है।
लोकसभा चुनाव में 78 महिलाएं सांसद बनी हैं। इनमें एक नाम प्रमिला बिसोई का भी है। प्रमिला बिसोई आस्का से सांसद हैं। प्रमिला बिसोई ने बीजू जनता दल (बीजेडी) के टिकट पर वहां से लगभग दो लाखों वोटों की बढ़त के साथ जीत हासिल कीं। उनकी जीत इस मायने में खास है, क्योंकि उन्होंने खुद के दम पर आंगनवाड़ी कर्मी से सांसद तक का सफर तय किया है। इसे सही मायने में महिला सशक्तिकरण का मजबूत चेहरा माना जा रहा है।
70 साल की प्रमिला बिसोई आंगनवाड़ी में खाना बनाने का काम करती थीं। प्रमिला की शादी पांच साल के उम्र में ही कर दी गई थी। इस कारण वह आगे की पढ़ाई नहीं कर सकीं। इसके बाद प्रमिला ने गांव में ही आंगनवाड़ी में रसोइया (कुक) का काम करना शुरू कर दिया। काम करने के दौरान उन्होंने गांव में ही एक स्वयं सहायता समूह की शरुआत की, जिसमें उन्हें सफलता हासिल हुई। वे एक साधारण परिवार से हैं। उनके पति चतुर्थ क्षेणी के सरकारी कर्मचारी थे। उनका बड़ा बेटा चाय की दुकान और छोटा बेटा गाड़ियों की रिपेयरिंग की दुकान चलाता है।
प्रमिला के पास एक एकड़ से भी कम जमीन है और उनका परिवार एक टिन की छत वाले घर में रहता है। वर्ष 2001 में वे बीजू जनता दल की योजना मिशन शक्ति से जुड़ीं और उसकी प्रतिनिधि बन गईं। वे महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करने लगीं। महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ स्वास्थ्य, सफाई जैसे कामों पर काम करती रहीं और लोगों को जागरूक करती रहीं। सांसद चुने जाने से पहले करीब पांच दशकों से वे गांव में प्रसूति और उसके बाद मां-बच्चे की देखभाल में हमेशा आगे रहीं। इसी कारण गांव वाले उन्हें प्यारी मां कहकर पुकारते हैं। वह 15 साल से लोगों की सेवा कर रही हैं।
वे आस्का ब्लॉक के स्वयं सहायता समूहों की सदस्य रही हैं। इसमें करीब सात सौ समूह हैं। उन्होंने गांव की गरीब महिलाओं की जिंदगी बदल दी है। प्रमिला ने न सिर्फ खुद को सशक्त बनाया, बल्कि बड़ी संख्या में गांव की महिलाओं को स्वरोजगार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित भी किया है।
चुनाव के दौरान प्रमिला बिसोई की उम्मीदवारी का घोषणा करते हुए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा था, यह मिशन शक्ति से जुड़ी लाखों महिलाओं के लिए एक उपहार है। प्रमिला सांसद बन चुकी है, लेकिन उन्हें राजनीति का कोई अनुभव नहीं है। हालांकि लोगों को उनसे बड़ी उम्मीदें हैं, और इसी उम्मीद ने उन्हें संसद तक पहुंचाया है।
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