भारत में आंदोलन का इतिहास काफी पुराना रहा है। जब जब लगा कि सरकार अपनी मनमानी कर रही है या समाज में कोई बदलाव लाने की बात हो तो समय समय पर कई तरह के अलग अलग आंदोलन हुए हैं। देश को आजादी भी स्वतंत्रता आंदोलन के बाद ही मिली है। अब आप सोच रहे होंगे कि हम आंदोलन पर बात क्यों कर रहे हैं। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 फरवरी को राज्यसभा में “आंदोलनजीवी” शब्द का इस्तेमाल किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम लोग कुछ शब्दों से बड़े परिचित हैं, श्रमजीवी, बुद्धिजीवी- ये सारे शब्दों से परिचित हैं। लेकिन, मैं देख रहा हूँ कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है, एक नई बिरादरी सामने आई है और वो है आंदोलनजीवी। प्रधानमंत्री इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि ये जमात आप देखेंगे, वकीलों का आंदोलन है, वहाँ नज़र आएँगे, स्टूडेंट्स का आंदोलन है, वो वहाँ नज़र आएँगे, मज़दूरों का आंदोलन है, वो वहाँ नज़र आएँगे। कभी पर्दे के पीछे, कभी पर्दे के आगे। ये पूरी टोली है जो आंदोलनजीवी है, ये आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं और आंदोलन से जीने के लिए रास्ते ढूँढते रहते हैं। मोदी का ये इशारा उन लोगों के लिए है जो हर आंदोलन में शामिल होते हैं। दूसरी तरफ देश में बड़े स्तर पर दो महीने से किसान आंदोलन भी चल रहा है। प्रधानमंत्री ने आंदोलन में हिस्सा लेने वालों को आंदोलनजीवी कहकर प्रधानमंत्री खुद विपक्ष और समाजिक कार्यकर्ताओं के निशाने पर आ गये हैं।
प्रधानमंत्री के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर लोग तरह तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं। सवाल कर रहे हैं क्या आंदोलन करना हमारा संवैधानिक अधिकार नहीं हैं? विपक्ष और आंदोलनों से जुड़े लोग व कार्यकर्ता इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
इस पर स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने प्रधानमंत्री की बात का जवाब दिया है उन्होंने कहा कि हाँ, मैं “आंदोलनजीवी” हूँ मोदी जी। आपको बता दें कि योगेंद्र यादव किसान आंदोलन का भी नेतृत्व कर रहे हैं।
हाँ, मैं “आन्दोलनजीवी” हूँ मोदी जी! #FarmersProtest #andolanjivi https://t.co/XtMj8fPEWV
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) February 8, 2021
इसके साथ ही योगेंद्र यादव ने एक वीडियो के जरिए ये भी कहा कि प्रधानमंत्री का इशारा साफ था कि किन लोगों को बोल रहे हैं। इतना डरते हैं हमसे, शोभा नहीं देता प्रधानमंत्री जी। इस देश ने बहुत बड़ी कुर्सी दी है आपको, इतनी बड़ी कुर्सी पर बैठकर इतनी छोटी बातें कहना शोभा नहीं देता। योगेंद्र यादव प्रधानमंत्री के 2013 में किये गये ट्वीट पर कहा कि कुछ दिनों पहले आप ट्वीट किया करते थे कि जनआंदलोन करना चाहिए। जब कांग्रेस सत्ता में थी तब पेट्रोल के दाम बढ़ने पर आप आंदोलन किया करते थे। रुपये की कीमत 50 पार हो गई इस पर आप आंदोलन किया करते थे और पता नहीं किस किस पर आंदोलन किया करते थे तब आंदोलन अच्छा हुआ करता था आज आंदोलन खराब हो गया। इस तरह से योगेंद्र यादव ने प्रधानमंत्री पर पलटवार किया।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो आंदोलनजीवी कहा है। हम आंदोलन करते हैं, हम जुमलेबाज तो नहीं हैं। प्रधानमंत्री जी ने 2011 में कहा था कि देश में एमएसपी पर कानून बनेगा। यह जुमलेबाजी थी।
प्रधानमंत्री ने जो आंदोलनजीवी कहा है। हम आंदोलन करते हैं, हम जुमलेबाज तो नहीं हैं। प्रधानमंत्री जी ने 2011 में कहा था कि देश में MSP पर कानून बनेगा। यह जुमलेबाजी थी: @RakeshTikaitBKU , किसान नेता#PMinRajyaSabha #FarmersProtest pic.twitter.com/LV2iR8rMKw
— News24 (@news24tvchannel) February 9, 2021
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि महात्मा गांधी देश की मांगों के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करते थे। अहिंसक आंदोलने के दम पर ब्रिटिश साम्राज्य को भारत से खदेड़ने वाले गांधीजी के देश में आंदोलन कर रहे लोगों को पीएम द्वारा आंदोलनजीवी कहना उनकी लोकतंत्र विरोधी सोच का सबूत है। भारत की बुनियाद आंदोलनों से बनी है। आजादी से पूर्व RSS स्वतंत्रता आंदोलन से और आजादी के बाद जनसंघ और भाजपा ने जनहित आंदोलनों से हमेशा दूरी बनाए रखी इसलिए वो आंदोलनों का महत्व नहीं समझते। 100 से ज्यादा किसानों की मौत पर एक शब्द बोलने की बजाय पीएम मोदी ने उनकी शहादत का मजाक उड़ाने का प्रयास किया है जो निंदनीय है।
महात्मा गांधी देश की मांगों के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करते थे। अहिंसक आंदोलने के दम पर ब्रिटिश साम्राज्य को भारत से खदेड़ने वाले गांधीजी के देश में आंदोलन कर रहे लोगों को पीएम द्वारा आंदोलनजीवी कहना उनकी लोकतंत्र विरोधी सोच का सबूत है। भारत की बुनियाद आंदोलनों से बनी है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) February 9, 2021
इसके अलावा शिवसेना से सांसद संजय राउत ने भी अपने अंदाज में ट्विटर पर लिखा कि गर्व से कहो कि हम सब आंदोलनजीवी है जय जवान, जय किसान। साथ में किसान आंदोलन की एक तस्वीर भी शेयर कि जिसमें वे राकेश टिकैत के साथ खड़ें हैं।
गर्वसे कहो..
हम सब आंदोलनजीवी है..
जय जवान
जय किसान! pic.twitter.com/8zSXztMUf2— Sanjay Raut (@rautsanjay61) February 8, 2021
साथ ही नितिन गडकरी की एक पुरानी वीडियो भी वायरल हो रही है इसे उमाशंकर सिंह ने पोस्ट किया है। जिसमें वे कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री जो बात कह रहे हैं वो लोकतंत्र के विरोध में है। इस देश में भ्रष्ट नेताओं और सरकारों के ख़िलाफ़ आंदोलन करना संवैधानिक अधिकार है, जनता का अधिकार है… अगर आप मेरे ख़िलाफ़ बोलेंगे तो हम आपका आंदोलन चलने नहीं देंगे इस तरह की नीति है : नितिन गडकरी, अगस्त 2011
प्रधानमंत्री जो बात कह रहे हैं वो लोकतंत्र के विरोध में है। इस देश में भ्रष्ट नेताओं और सरकारों के ख़िलाफ़ आंदोलन करना संवैधानिक अधिकार है, जनता का अधिकार है… अगर आप मेरे ख़िलाफ़ बोलेंगे तो हम आपका आंदोलन चलने नहीं देंगे इस तरह की नीति है : नितिन गडकरी, अगस्त 2011#PuraneeBite pic.twitter.com/0Xowh3NYbx
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) February 9, 2021
आंदोलन करना लोगों का संवैधानिक अधिकार है। जब जनता को लगता है कि सरकार तानाशाही कर रही है तब तब आंदोलन हुए हैं और ऐसा नहीं है कि आंदोलन सिर्फ 2014 से 2021 के बीच ही हुए हैं आंदोलन तो आजादी से पहले भी हुए हैं और आजादी के बाद भी। आंदोलन में सबसे ज्यादा जिनकी भागीदारी थी वो महात्मा गांधी थे। अंग्रेजी हुक्मरानों की बढ़ती ज्यादतियों का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी ने 1 अगस्त 1920 में असहयोग आंदोलन की शुरूआत की थी। इस आंदोलन से लोगों में ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ आवाज उठाने का प्रोत्साहन मिला और आंदोलन का परिणाम सबके सामने हैं हम आज आजाद हैं।
Be the first to comment on "प्रधानमंत्री मोदी के ‘आंदोलनजीवी’ वाले बयान पर सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है?"