क्या दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष के छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है? इस सवाल का जवाब हां में ही दिया जाना चाहिए। क्योंकि एक तरफ कोरोनावायरस महामारी के चलते देश में हालात गंभीर बने हुए हैं। कोरोना की वजह से शिक्षा क्षेत्र काफी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और वहीं दूसरी ओर बिगड़ते हालातों के बीच डीयू अंतिम वर्ष के छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा (ओपन बुक परीक्षा) लेने पर अड़ा है। खबर है कि डीयू ने एक बार फिर 10 जुलाई से शुरू होने वाली अंतिम वर्ष या सेमेस्टर के छात्रों की परीक्षाएं अगस्त तक स्थगित कर दी हैं। अब ये परीक्षाएं 15 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं। परीक्षाओं की नई तारीखों की जानकारी बाद में तय की जाएगी। दिल्ली विश्वविद्यालय ने बुधवार को यह जानकारी हाईकोर्ट में परीक्षाओं से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान दी। यह सुनवाई स्नातक, एसओएल, एनसीवेब के अंतिम वर्ष के छात्रों की ओपन बुक परीक्षा रद कराने को लेकर थी।
बता दें कि इससे पहले डीयू के ओपन बुक एग्जाम 1 जुलाई से होने वाले थे, लेकिन विश्वविद्यालय ने परीक्षा को 10 दिन के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया था। डीयू ने 10 जुलाई से परीक्षाएं दोबारा आयोजित करने का फैसला किया था और उसके लिए शेड्यूल भी जारी कर दिया था। लेकिन अब एक बार फिर बड़ा फैसला लेते हुए डीयू ने अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को अगस्त तक स्थगित करने की घोषणा कर दी है।
ओपन बुक एग्जामिनेशन को लेकर डीयू के छात्रों ने लगातार ट्विटर पर अपना विरोध दर्ज कराया। इससे पहले ही कई सवालों के घेरे में खड़ी दिल्ली विश्वविद्यालय मॉक टेस्ट आयोजित कराने को लेकर असफल होती दिखी। मॉक टेस्ट की तैयारियों ने डीयू की पोल खोल दी। सर्वर डाउन और गलत प्रश्नपत्र अपलोड करने को लेकर छात्रों ने जमकर विरोध किया।
अदालत का क्या कहना है?
डीयू ने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह के समक्ष कहा कि वह परीक्षाएं 15 अगस्त के बाद लेगा।
वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने विश्वविद्यालय के निर्णय पर अप्रसन्नता जताई और कहा, ‘देखिये आप बच्चों के जीवन से कैसे खेल रहे हैं।’
न्यायमूर्ति सिंह ने डीयू के अधिवक्ता से कहा, ”आप ऑनलाइन परीक्षा कराने के संबंध में अपनी तैयारियों को लेकर ईमानदार नहीं थे। आप कह रहे थे कि आप तैयार हैं, लेकिन आपकी बैठक का विवरण यह दिखाता है कि इसका उलटा था।
डीयू के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सचिन दत्त और अधिवक्ता मोहिंदर रूपल ने कहा कि विश्वविद्यालय ने परीक्षा 10 जुलाई से टालने का निर्णय किया है।
ओपन बुक परीक्षा क्या है?
ओपन बुक परीक्षा में ऑनलाइन प्रश्न पत्र दे दिया जाएगा, जिसे उन्हें डाउनलोड करके हल करना होगा। पेपर को हल करने के लिए छात्रों को 2 घंटे का समय दिया जाएगा और 1 घंटे का समय प्रश्न पत्र डाउनलोड करने और उत्तरपुस्तिकाओं को अपलोड करने के लिए होगा। जबकि दिव्यांग स्टूडेंट्स को 5 घंटे का समय दिया जाएगा। इस परीक्षा के लिए छात्र किताबें, नोट्स और अन्य पाठ्य सामग्री की मदद ले सकते हैं।
क्यों हो रहा विरोध?
विश्वविद्यालय ने 10 जुलाई से ओपन बुक परीक्षा के माध्यम से परीक्षाएं लेने की घोषणा की थी, जिसका हर स्तर पर विरोध किया जा रहा था।
छात्रों का सबसे ज्यादा विरोध परीक्षा के माध्यम को लेकर था। मॉक टेस्ट में बार-बार भारी गड़बड़ियां सामने आ रही थीं। इसे देखते हुए छात्रों की चिंता थी कि अगर मुख्य परीक्षा के दौरान भी इसी तरह की परेशानी सामने आती है, तो इससे उनका भविष्य खराब हो जाएगा।
इसे देखते हुए छात्र लगातार इसके लिए वैकल्पिक माध्यम अपनाए जाने का सुझाव दे रहे थे। छात्रों का कहना था कि उन्हें प्रथम व द्वितीय वर्ष के छात्रों की तरह ही पहले दिए एसाइनमेंट और इंटरनल एसेसमेंट आदि के आधार पर प्रोमोट कर दिया जाए। लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय ओपन बुक परीक्षा के माध्यम से परीक्षाएं लेने पर अड़ा हुआ था।
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