बीते कुछ दिनों से त्रिपुरा का मामला काफी गरमाया हुआ है। मामला शुरू होता है बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले से। बांग्लादेश में 15 अक्टूबर को दुर्गा पूजा पंडालों और मंदिरों में तोड़फोड़ हुई इसी हिंसा के विरोध में 26 अक्टूबर की रात को त्रिपुरा में विश्व हिंदू परिषद ने एक रैली निकाली। उस रैली के दौरान ही मुसलमानों के घर और मस्जिदों में तोड़ फोड़ की गई, उनकी दुकानें जला दी गईं। बता दें कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर त्रिपुरा में 51 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए। मुस्लिम लाइव्ज मैटर नाम की रिपोर्ट में कम से कम 12 मस्जिदों, मुस्लिम परिवारों की नौ दुकानें और तीन घरों में तोड़फोड़ के ब्योरे को शामिल किया गया है।
त्रिपुरा पुलिस ने 68 लोगों पर UAPA लगाया है. ये 68 लोगों की लिस्ट है. pic.twitter.com/tpH1zdcEkU
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) November 6, 2021
मामला यही खत्म नहीं होता है जिन लोगों ने त्रिपुरा हिंसा मामले को लेकर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस घटना को लेकर लिखा था। उनमें से 102 लोगों पर यूएपीए के तरह मामला दर्ज कर दिया गया। और 68 ऐसे ट्वीटर अकाउंट हैं जिन्होंने त्रिपुरा हमले पर ट्वीट किया था उनके अकाउंट ब्लॉक करने के आदेश भी दे दिये गए हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी जिन ट्वीटर अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया गया है। वे सभी के सभी अल्पसंख्यक हैं। जिन ट्वीटर अकाउंट्स के खिलाफ मामला दर्ज किया है इनमें सुप्रीम कोर्ट के चार वकील भी शामिल हैं। इन पर मुस्लिमों के खिलाफ सांप्रदायिक भेदभाव को बढ़ावा देने का आरोप है।
इन्ही में से एक युवा पत्रकार श्याम मीरा सिंह। श्याम मीरा पर भी यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है। उन्होंने त्रिपुरा हिंसा पर ट्वीट किया था कि “Tripura is Burning” और इसी ट्वीट को लेकर उन पर मामला दर्ज हो गया।
श्याम मीरा सिंह ने अपना पक्ष रखते हुए लिखा है कि केवल इन तीन शब्दों “Tripura is Burning” को लिखने पर त्रिपुरा की भाजपा सरकार ने मुझपर UAPA लगा दिया है। “I want to reiterate once again, I will never hesitate to stand up for justice” हमारे मुल्क का प्रधानमंत्री कायर है हम पत्रकार नहीं। मैं आपकी जेलों, पुलिस, लठैतों से नहीं डरता। अगर कमजोर और सताए हुए लोगों के लिए खड़ा होना जुर्म है तो ये मेरा पहला जुर्म हो सकता है लेकिन आख़िरी नहीं होगा। ये वाला जुर्म में बार बार बार बार.. हज़ार बार करूँगा।
यूएपीए एक्ट क्या है?
यूएपीए (UAPA) गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम। इस कानून का मुख्य मकसद आतंकी गतिविधियों को रोकना है। इस मामले में एनआईए के पास काफी शक्तियां होती है। यह कानून 1967 में आया था लेकिन 2019 में इसमें संशोधन हुआ जिसके बाद यह और मजबूत हुआ। 2019 में संशोधन बिल संसद में पास हुआ। यूएपीए एक्ट के सेक्शन 15 के अनुसार भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, संप्रभुता को संकट में डालने के इरादे से भारत में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने की संभावना के इरादे से किया कार्य आतंकवादी कृत्य है। इसमें व्यक्ति को पांच साल से लेकर उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान है। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि सरकार इस कानून का इस्तेमाल गलत तरीके से कर रही है। आवाज उठाने वाले और बेगुनाह लोगों को इसमें फसाया जा रहा है। इस कानून में जांच के आधार पर आतंकवादी घोषित किया जा सकता है।
लोग सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सरकार से तमाम सवाल कर रहे हैं।
एक ट्वीटर यूजर ने लिखा कि त्रिपुरा पुलिस उन दंगाइयों को गिरफ़्तार नही करती जिन दंगाइयों ने त्रिपुरा के मुसलमानों की मस्जिद, दुकान और घरों को नुक़सान पहुंचाया है। बल्कि त्रिपुरा पुलिस उन 68 ट्विटर यूज़र्स पर UAPA के तहत मामला दर्ज किया है जिन्होंने त्रिपुरा दंगों के खिलाफ आवाज उठाई है #ShameOnTripuraPolice
त्रिपुरा पुलिस उन दंगाइयों को गिरफ़्तार नही करती जिन दंगाइयों ने त्रिपुरा के मुसलमानों की मस्जिद, दुकान और घरों को नुक़सान पहुंचाया है
— Puneet Kumar Singh (@puneetsinghlive) November 6, 2021
बल्कि त्रिपुरा पुलिस उन 68 ट्विटर यूज़र्स पर UAPA के तहत मामला दर्ज किया है जिन्होंने त्रिपुरा दंगों के खिलाफ आवाज उठाई है#ShameOnTripuraPolice
वरिष्ठ पत्रकार अजित अंजुम ने लिखा है कि #UAPA को मोदी राज में आलोचकों और विरोधियों को डराने और दबाने का हथियार बना दिया गया है। अब त्रिपुरा पुलिस ने समेत दर्जनों ऐसे लोगों के खिलाफ UAPA लगा दिया है जो वहां हो रही ज्यादतियों के खिलाफ लिख रहे थे। इसी सरकार में गोली मारो सालों को बोलने वाले मंत्री है।
.#UAPA को मोदी राज में आलोचकों और विरोधियों को डराने और दबाने का हथियार बना दिया गया है .
— Ajit Anjum (@ajitanjum) November 6, 2021
अब त्रिपुरा पुलिस ने @ShyamMeeraSingh समेत दर्जनों ऐसे लोगों के खिलाफ UAPA लगा दिया है ,जो वहां हो रही ज्यादतियों के खिलाफ लिख रहे थे .
इसी सरकार में गोली मारो सालों को बोलने वाले मंत्री है https://t.co/YyqDnOhjvv
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