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डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत 10 पायदान नीचे लुढ़का

भारत को अपने लोकतंत्र की वजह से काफी अच्छा देश माना जाता है, लेकिन अब डेमोक्रेसी इंडेक्स में भी भारत का हाल देखकर ऐसा लगता है कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है। अंतरराष्ट्रीय पत्रिका इकोनॉमिस्ट के सालाना ‘डेमोक्रेसी इंडेक्स’ में भारत 10 स्थान नीचे खिसक गया है। साल के शुरुआत में भारत के लिए ये बहुत ही निराशाजनक है कि भारत 2018 के डेमोक्रेसी इंडेक्स के मुकाबले 41 वें स्थान से 10 पायदान नीचे खिसककर 51वें स्थान पर आ गया है। बता दें कि 2019 में भारत का डेमोक्रेसी स्कोर 6.9 रहा, जो 13 साल में सबसे निचले स्तर पर है। इससे पहले 2018 में भारत का डेमोक्रेसी स्कोर 7.23 था।

गौरतलब हो कि द इकोनॉमिस्ट हर साल ‘डेमोक्रेसी इंडेक्स’ रिपोर्ट निकालता है। इस साल भी द इकोनॉमिस्ट ने बुधवार को 165 देशों की डेमोक्रेसी लिस्ट जारी की।

क्या है डेमोक्रेसी इंडेक्स

डेमोक्रेसी इंडेक्स यूके की कंपनी इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (EIU) द्वारा संकलित सूचकांक है। यह 167 देशों में लोकतंत्र की स्थिति को मापने का इरादा रखता है, जिनमें से 166 संप्रभु राज्य हैं और 164 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश हैं। सूचकांक को पहली बार 2006 में प्रकाशित किया गया था। सूचकांक पांच विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत 60 संकेतकों पर आधारित है, जो बहुलवाद, नागरिक स्वतंत्रता और राजनीतिक संस्कृति को मापता है। एक संख्यात्मक स्कोर और एक रैंकिंग के अलावा, सूचकांक प्रत्येक देश को चार शासन प्रकारों में से एक में वर्गीकृत करता है: पूर्ण लोकतंत्र, त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र, संकर शासन और सत्तावादी शासन।

13 साल में भारत का डेमोक्रेसी सबसे कम

इंडेक्स में निष्पक्ष चुनाव, राजनीतिक भागीदारी और बहुलतावाद व सिविल लिबर्टी जैसे पैमानों पर देशों की रैंकिंग की जाती है। 2006 के बाद अब तक 13 साल में यह भारत का सबसे कम डेमोक्रेसी स्कोर है। 2014 में यह सबसे ज्यादा 7.92 था। डेमोक्रेसी इंडेक्स चुनावी प्रक्रिया और अनेकता की स्थिति, सरकार की कार्यप्रणाली, राजनीतिक भागीदार, राजनीतिक संस्कृति और सामाजिक स्वतंत्रता के आधार पर जारी की जाती है।

2018 के मुकाबले अब डेमोक्रेसी इंडेक्स में कौन कहां?

यूरोप के कई देशों में पूर्ण लोकतंत्र है। 2018 में नार्वे पहले स्थान  पर था, वहीं आइलैंड व स्वीडन दूसरे औऱ तीसरे स्थान पर रहे। जबकि डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत 41 वें स्थान पर, नेपाल 97 वें स्थान पर, पाकिस्तान 112 वें स्थान पर व चीन 130 वें स्थान पर रहे। इंडेक्स सूची में सबसे नीचे उत्तर कोरिया व उसके बाद सीरिया रहे।

वहीं अगर 2019 के इंडेक्स की बात करें तो 2018 की तरह नार्वे इस सूची में शीर्ष पर है, जबकि उत्तर कोरिया 167वें स्थान के साथ सबसे नीचे है। भारत 51 वें स्थान पर पाकिस्तान 108वें, नेपाल 92वें, बांग्लादेश 80वें और श्रीलंका 69वें नंबर पर है। चीन अब 153वें पायदान पर है। यह वैश्विक रैंकिंग में निचले पायदान के करीब है। उभरती हुई दूसरी अर्थव्यवस्थाओं में ब्राजील 52वें पायदान पर है, रूस सूची में 134वें स्थान पर है।

भारत के डेमोक्रेसी स्कोर में गिरावट की वजह

रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून लागू करने की वजह से भारत के डेमोक्रेसी स्कोर में गिरावट आई। ये गिरावट दिखाती है कि देश का लोकतंत्र मजबूत हो रहा है क्योंकि लोग अपने अधिकारों के लिए अपनी आवाज उठा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, देखा जाए तो 2019 भारत के लिए बेहद अहम साल रहा क्योंकि भाजपा सरकार ने तमाम विरोधों के बावजूद पहले कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा गया इसके बाद  नागरिकता संशोधन कानून लागू किया। इसके चलते देशभर में लगातार धरना प्रदर्शन हो रहा है। अभिव्यक्ति के अधिकार और समानता का अधिकारों का हनन किया गया जिसका असर लोकतांत्रिक स्थिति पर पड़ा।

प्रधानमंत्री ने हर मौके पर देश की लोकतंत्र की ताकत की सराहना की है, लेकिन विडंबना यह है कि 2014 से 2019 के बीच उनके पहले कार्यकाल के दौरान भारत की लोकतंत्र रैंकिंग में लगातार गिरावट आई। 2018 में भारत को ‘डेमोक्रेसी इंडेक्स’ यानी लोकतंत्र सूचकांक में 41वां स्थान मिला था। लेकिन2019 में भारत को डेमोक्रेसी इंडेक्स में 51 वां स्थान मिला। दक्षिणपंथी धार्मिक विचारधारा के दबदबे और गोरक्षकों के अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने से देश की धर्मनिरपेक्ष छवि पर गहरा असर पड़ा है। मोदी सरकार को लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए राजनीति में अल्पसंख्यकों और दूसरे वंचित वर्गों को शामिल करना होगा।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

कोमल कश्यप
कोमल स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।

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