दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) और नॉन कॉलेजिएट वुमन एजुकेशन (एनसीवेब) के अतिथि शिक्षकों की ओर से लगातार वेतनमान को लेकर विरोध प्रर्दशन हो रहा है। अतिथि शिक्षकों को कई महीनों का वेतन नहीं मिला है इसलिए 8 फरवरी को एसओएल के अतिथि शिक्षक संघ ने डीयू के कला संकाय के बाहर अपनी कुछ मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। जिसमें सितंबर से लेकर दिसम्बर 2019 में एसओएल अतिथि शिक्षकों का वेतनमान नहीं दिया गया। सितंबर से लेकर दिसंबर 2019 सत्र का नॉन कॉलेजिएट वुमन एजुकेशन (एनसीवेब) अतिथि शिक्षकों का भी वेतनमान 500 रुपये प्रति कक्षा काटे जाने, एनसीवेब द्वारा जनवरी से मई 2020 सत्र का वेतनमान न मिलने का विरोध और एसओएल व एनसीवेब द्वारा उत्तर पुस्तिका जांचने के पैसे का भुगतान न किए जाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया। अतिथि शिक्षकों की ओर से यह मांग रखी गई कि एनसीवेब और एसओएल में वेतनमान को शिक्षण माह के अंत में देने का प्रावधान किया जाए। अतिथि शिक्षकों को छात्रों का भी समर्थन मिला और इस विरोध प्रदर्शन में कई अतिथि शिक्षक, शोधार्थी व छात्र सम्मिलित थे।
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ डूटा की कोषाध्यक्ष आभा देव हबीब ने अपना समर्थन अतिथि शिक्षको को देते हुए कहा कि यह अमानवीय है कि गेस्ट टीचर इतने लंबे समय से अपने वेतन का इंतजार कर रहे हैं। एक ही विश्वविद्यालय में अलग-अलग वेतन क्यों? यह मनमानी नहीं चलेगी। एकेडमी फोरम फ़ॉर सोशल जस्टिस के अध्यक्ष प्रो. केदार कुमार मंडल ने कहा कि यह शिक्षक और शोधकर्ताओं की मजबूरी है कि वह सड़क पर आकर आंदोलन कर रहा है। जबकि वह पढ़ाना चाहता है। यह प्रशासन उसका दमन कर रहा है।
अतिथि शिक्षक डॉक्टर राम अनुज तिवारी ने कहा कि हम, शिक्षक बहुत सारी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। प्रशासन जल्द ही हमारा वेतन हमें दे। शिक्षक सूरज राव ने अपनी बात रखते हुए इसे दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन, एनसीवेब और एसओएल की नाकामी बताई कि शिक्षकों को इस तरह प्रताड़ित कर रहे हैं। अतिथि शिक्षक संघ की अध्यक्ष आरती रानी प्रजापति ने वेतन के खिलाफ रोष प्रकट किया कि हमारी सिर्फ यह मांग नहीं है कि वेतन दें, बल्कि वेतन को हर महीने दिया जाए यह भी हमारी महत्वपूर्ण मांग है और जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाती हम आंदोलन करते रहेंगे।
विरोध प्रदर्शन के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को शिक्षकों ने एक ज्ञापन सौंपा और तुरंत इस दिशा में उचित कार्यवाही करने की मांग की। अतिथि शिक्षक संघ की ओर से कहा गया है कि अगर दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन और कुलपति इस दिशा में उचित कार्यवाही नहीं करते हैं तो अतिथि शिक्षक समुदाय भविष्य वृहद स्तर पर प्रदर्शन करने को मजबूर होगा। अतः अतिथि शिक्षकों की मांगों पर ध्यान दिया जाए।
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