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डीयू- जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज में ‘कला और कलाकार’ पर सेमिनार का हुआ आयोजन                      

दिल्ली विश्वविद्यालय के जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज के समाजशास्त्र  विभाग व भारतीय शास्त्रीय नृत्य सोसाइटी, नूपुर के सहयोग से, 5 नवंबर 2019 को ‘कला और कलाकार’ पर सेमिनार का आयोजन किया। यह सेमिनार कॉलेज के 60वीं वर्ष के उपलक्ष्य में प्रतिष्ठित वक्ताओं श्रंखला का हिस्सा है। यह कार्यक्रम प्रख्यात कलाकारों और विद्वानों के बीच एक पैनल चर्चा के साथ शुरू हुआ जिसमें डॉ शोवना नारायण, कथक प्रतिपादन, पद्म श्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता, प्रसिद्ध गायक संगीतज्ञ विद्या राव, और प्रोफ़ेसर रोमा चटर्जी,  प्रमुख समाजशास्त्र विभाग, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स शामिल रहे। भरतनाट्यम के व्याख्याता और संगीत नाटक अकादमी के वरिष्ठ अध्येता, जयलक्ष्मी ईश्वर ने भी अपनी बात रखी।

प्रोफेसर रोमा चटर्जी ने लोककथाओं और लोक कलाओं में परंपराओं की समकालीनता को दर्शाते हुए यह कहा कि आधुनिक वर्तमान में कलाकार अपने दैनिक जीवन में परम्परा का प्रयोग करता है। विद्या राव ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का उपयोग ठुमरी गायन के प्रशिक्षण में किया। उन्होंने उल्लेख किया कि 20 वीं शताब्दी के प्रारंभ के महिला गायकों ने अपने लिंग और कामुकता की समस्याओं को अपनी कलाशैली द्वारा अभिव्यक्त किया। शोवना नारायण ने कल्पित कथा, दृश्य प्रतीकों और सांस्कृतिक प्रथाओं के विकास पर चर्चा की और यह बताया कि भारतीय सांस्कृतिक नर्तकी किस प्रकार भारतीय शास्त्रीय नृत्य की पुनःव्याख्या करती है।

इसी तरह जयलक्ष्मी ईश्वर ने बताया कि कैसे भारतीय शास्त्रीय नृत्य और विशेष रूप से भरतनाट्यम में, परंपराएं समय के साथ बदलती हैं और कलाकार संगीत, नृत्यकला और प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से इन परिवर्तनों को अपनाते हुए अपनी परंपराओं के साथ जुड़े हुए हैं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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